क्या एक महिला को मिल सकती है यह जिम्मेदारी?
वसुंधरा राजे का नाम राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर पहली पसंद
— बीजेपी के अगली अध्यक्ष पद पर महिला नेतृत्व की संभावना पर एक कलात्मक विचारपूर्ण टिप्पणी
जब राजनीति की पगडंडी सत्ता की ओर मुड़ती है, तो कई बार इतिहास थमकर देखता है—क्या इस बार कोई नारी नेतृत्व की राह पर चलकर ध्वज थामेगी? बीजेपी में महिला को अध्यक्ष बनाए जाने की चर्चा के बीच राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का नाम सबसे ऊपर माना जा रहा है स्मृति ईरानी अलका सिंह गुर्जर भी इस लड़ाई में शामिल है देखना यह है कि भारतीय जनता पार्टी का राष्ट्रीय नेतृत्व किसे राष्ट्रीय अध्यक्ष की कमान सौपता है।
भारतीय जनता पार्टी, जो महिला सशक्तिकरण के मुद्दों पर सदैव मुखर रही है, क्या अब अपनी शीर्ष सत्ता की चाबी भी एक महिला को सौंप सकती है?
संभावना बनाम परंपरा
अब तक बीजेपी के सभी राष्ट्रीय अध्यक्ष पुरुष रहे हैं — अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, अमित शाह, जे.पी. नड्डा — हर एक नाम एक विचारधारा का पर्याय रहा, पर महिला नहीं।
लेकिन अब समय बदल रहा है। महिलाओं की भागीदारी केवल प्रतीकात्मक नहीं, निर्णायक बन रही है। संसद में महिला आरक्षण बिल पास हो चुका है, कई राज्यों में महिला मुख्यमंत्री बनी हैं, और संगठन में महिला महासचिवों की भूमिका महत्वपूर्ण हो चली है।
क्या वसुंधरा राजे वह चेहरा हो सकती हैं?
वसुंधरा राजे न केवल दो बार राजस्थान की मुख्यमंत्री रही हैं, बल्कि भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी हैं। राजस्थान और मध्य प्रदेश से उनका नाता है। देशभर में उनके सामने पहचान का संकट नहीं है। मां विजय राजे सिंधिया के कारण संघ की भी पसंद मानी जा सकती है। उनका खुद का बड़ा कद है जन्म नेता के तौर पर पहचान है उन्हें नाम चेहरे दोनों से पहचाना जाता है ऐसे में भारतीय जनता पार्टी को यह बताने की जरूरत नहीं आई पड़ेगी की वसुंधरा राजे कौन है राजनीतिक समाज है यहां तक की विपक्ष में भी उनका सम्मान किया जाता है। तगड़ी फैन फॉलोइंग भी है।उनके पास प्रशासनिक अनुभव, संगठनात्मक पकड़ और ‘राजघरानों’ की सांस्कृतिक विश्वसनीयता का मेल है।
भाजपा की महिलाओं में वह सबसे सशक्त और लोकप्रिय चेहरों में शुमार की जाती हैं।
लेकिन विरोध भी है—उन्हें “स्वतंत्र नेता” माना जाता है, जो अक्सर केंद्रीय नेतृत्व की लाइन से अलग रुख रखती हैं। क्या मोदी-शाह की जोड़ी उन्हें इतने अहम पद पर बैठेगी?
क्या अन्य महिला चेहरे हो सकते हैं?
स्मृति ईरानी – तेजतर्रार वक्ता, केंद्रीय मंत्री, और युवाओं में लोकप्रियता का चेहरा। राहुल गांधी को हराकर चर्चा में आई केंद्र मंत्री रही वर्तमान में राहुल गांधी सही चुनाव हार गई लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तमाम नेताओं की नजर में स्मृति ईरानी की अच्छी छवि है । भाजपा नेता के साथ-साथ टीवी स्टार भी रही है । इसलिए पूरे देश में उन्हें पहचान का संकट नहीं है हालांकि उन पर संघ परिवार सहमत होगा इस संशय है।
अलका सिंह गुर्जर – संगठन में सक्रिय चेहरा।
अलका सिंह गुर्जर मुलत राजस्थान की रहने वाली है। राजस्थान से एक बार बांदीकुई से विधायक रह चुकी है ।प्रदेश प्रवक्ता रह चुकी है। प्रदेश उपाध्यक्ष रह चुकी है । उनके पति पूर्व सांसद और पूर्व मंत्री नाथू सिंह गुर्जर है। अलका सिंह गुर्जर वर्तमान में राष्ट्रीय महासचिव है और दिल्ली की प्रभारी भी है। अलका सिंह गुर्जर कि कांग्रेस पार्टी के खिलाफ की गई टिप्पणियों ने कई बार उन्हें चर्चित किया है। जिससे वह राष्ट्रीय नेतृत्व की नजर में भी है। गुर्जर समाज से आती है ,महिला भी है, इसलिए उन्हें भी अध्यक्ष बनाया जा सकता है।
अनुप्रिया पटेल (यद्यपि वह एनडीए घटक से हैं) – यूपी के सामाजिक समीकरणों में फिट।
महिला अध्यक्ष क्यों?
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महिला नेतृत्व (जैसे जेसिंडा अर्डर्न, एंजेला मर्केल) को स्थिरता और संवेदनशील निर्णयों का प्रतीक माना गया है।
भारत की आधी आबादी महिलाएं हैं—ऐसे में पार्टी के लिए यह एक बड़ा राजनीतिक संदेश होगा।
कांग्रेस ने सोनिया गांधी को पार्टी अध्यक्ष बनाकर लंबे समय तक सत्ता चलाई—भाजपा के पास अब इस प्रतीकात्मकता को कर्म-रूप में बदलने का अवसर है।
क्या भाजपा इतिहास रचेगी?
यदि भाजपा यह साहसिक निर्णय लेती है, तो यह न केवल पार्टी के अंदरूनी संतुलन को नई दिशा देगा, बल्कि देश की राजनीति में महिला नेतृत्व के लिए एक आदर्श मील का पत्थर बन जाएगा।
क्या वसुंधरा राजे भारत की पहली महिला भाजपा अध्यक्ष बनेंगी?
संकेत मिल रहे हैं।
संभावनाएँ मौजूद हैं।
और अगर यह होता है—
तो यह केवल संगठन का निर्णय नहीं, भारतीय राजनीति की सोच का ‘स्त्री दिशा में पहला राष्ट्रीय पदचिन्ह’ होगा।
“राजनीति की सतह पर पुरुष सत्ता की लकीरें गहरी हैं, पर जब एक स्त्री चलती है — वह दिशा नहीं, संस्कृति बदल देती है।”
— हेमराज तिवारी