जयपुर। अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस के अवसर पर और जागरूकता फैलाने के अभियान के तहत, राजस्थान वानिकी और जैव विविधता विकास परियोजना (RFBDP) ने केंद्रीय संचार ब्यूरो, प्रादेशिक कार्यालय, जयपुर के सहयोग से 20 और 21 मई को जयपुर के नायला और कुकस क्षेत्रों में नुक्कड़ नाटक के माध्यम से जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए। इन कार्यक्रमों में लगभग 180 लोग शामिल हुए, जिनमें महिलाएं, बच्चे और स्वयं सहायता समूहों (SHG) के सदस्य शामिल थे।
RFBDP, राजस्थान वन विभाग की एक परियोजना है, जिसे Agence Française de Développement (AFD) द्वारा वित्तपोषित किया गया है और यह पूर्वी राजस्थान के 13 चयनित जिलों में लागू की जा रही है। इसका उद्देश्य प्राकृतिक वनों का संरक्षण और विकास, संकटग्रस्त प्रजातियों की सुरक्षा, शुष्क चरागाहों का पुनर्निर्माण और समुदाय की भागीदारी तथा बेहतर प्रबंधन के माध्यम से सतत वन प्रबंधन को बढ़ावा देना है।
परियोजना निदेशक सुश्री टी. जे. कविथा, आईएफएस ने कहा:
“हमारा लक्ष्य समुदायों को इस दिशा में प्रेरित करना है कि वे अपने वनों के रक्षक बनें। इन नुक्कड़ नाटकों के कलाकार सांस्कृतिक भाषा के ज़रिए लोगों को प्रकृति और RFBDP के उद्देश्य से जोड़ते हैं।”
RFBDP का उद्देश्य स्पष्ट है: जलवायु परिवर्तन से लड़ना, पारिस्थितिक तंत्रों को पुनर्जीवित करना और राजस्थान की अनोखी जैव विविधता की रक्षा करना। इन रंगमंच प्रस्तुतियों के माध्यम से मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने, वनों की रक्षा को बढ़ावा देने और महिलाओं के सशक्तिकरण जैसे अहम संदेशों को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया गया।
नाटकों में यह समझाया गया कि जंगली जानवर हमारे दुश्मन नहीं, बल्कि डरे हुए जीव हैं जो अपने प्राकृतिक आवास नष्ट होने के कारण गाँवों की ओर आ रहे हैं। इस समस्या का समाधान प्रतिशोध नहीं, बल्कि वन विभाग को समय पर सूचित करना है।
समुदाय को बायो फेंसिंग, वन कॉरिडोर की रक्षा, और प्लांट माइक्रो रिजर्व जैसे उपायों से अवगत कराया गया। इसके अलावा ओरन (पवित्र वन), जल संरक्षण और पारंपरिक वन प्रथाओं के पुनर्जीवन पर भी जोर दिया गया।
इन प्रस्तुतियों में स्वयं सहायता समूहों (SHGs) की भूमिका भी दिखाई गई जिनके माध्यम से महिलाएं साफ ऊर्जा का उपयोग, वन-संवेदनशील आजीविका और आर्थिक आत्मनिर्भरता की दिशा में कार्य कर रही हैं। इन नाटकों ने सहानुभूति, सामूहिक ज़िम्मेदारी और व्यावहारिक कदमों की भावना को बढ़ाया और लोगों को अपने वनों और भविष्य को सुरक्षित रखने की प्रेरणा दी।
इन नुक्कड़ नाटकों के ज़रिए हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि संरक्षण केवल एक सरकारी नीति न रहे, बल्कि समुदाय का जीवन-मूल्य बने, खासकर उन ग्रामीण क्षेत्रों में जहाँ लोग वनों पर निर्भर रहते हैं।