लोक टुडे न्यूज नेटवर्क
*जितेन्द्र सिंह शेखावत* वरिष्ठ पत्रकार रा.ज .पत्रिका
*आमेर राजवंश में कोटड़ी यानी बड़ी जागीर को प्राप्त करना विशेष मायने रखता था।*
*महाराजा पृथ्वीराज ( 1503) के बेटों को बांटे बड़े ठिकाने बारह कोटड़ियों के नाम से मशहूर हुए।* *पर्यटन अधिकारी रहे गुलाब सिंह मीठड़ी के मुताबिक मेवाड़ राजवंश के सौलह उमरावों के बड़े ठिकानों की तरह कछवाहों की बारह कोटड़ी बहुत शक्तिशाली थी ।*
*इतिहासकार देवी सिंह मंडावा ने लिखा कि पूरण मल के बड़े पुत्र भीम के वंशज भीम पोता तथा नरवर के कछवाहा कहलाते हैं ।*
*पंचायण को नायला मिला । पच्याणोत कहलाने वाले सामरिया, आदि के मालिक हुए ।*
*जगमाल को साईवाड़ व बाद में नरैना मिला । इनके वंशज खंगार से खंगारोत कहलाए ।*
*जम्मू कश्मीर के डोगरा भी इनके वंशज है।*
*सुलतान को कानोता का राजा बनाया बाद में चांदसेन ,सूरोठ में इनके वंशज सुलतानोत कहलाते है।* *चर्तुभुज को बगरू मिला इनके वंशज चर्तुभुजोत हैं। ग्यारहवें पुत्र बलभद्र को अचरोल मिला ।* *बलभद्रोत इनके वशंज है। प्रताप को सानकोटड़ा मिला जो बाद में छूट गया । इनके वंशज प्रतापपोता है। गोपाल को सामोद का राजा बनाया ।* *इसके पुत्र नाथा के वंशज नाथावत हैं । कल्याण को कालवाड़ दिया गया । इनके वंशज कल्याणोत कहलाते है।* *रामसिंह को खोह, गुणसी मिली । रामसिंहोत है । साई दास को बड़ोदिया मिला ।* *रूपसिंह का दौसा पर भी अधिकार था । इन्होंने अजमेर जिले में किशनगढ़ के पास रूपनगढ़ बसाया ।*
*पूरण मल को आमेर का महाराजा बनाया गया । इसके मारे जाने पर आमेर छूट गया था ।* *इसके वंशज पूरणरमलोत कहलाए हैं । इन्हे नीमेड़ा मिला था। भारमल आमेर का महाराजा हुआ।*
शुरू *में चार कोठारी थी* जो *1374 से 1423 में कायम की गई ।इसमें बेटा कुंभाजी था जिसे बांसखो दिया गया ।* *उसका परिवार कुंभानी कहलाया ।*
*दूसरी कोटड़ी का राजा उदयकरण (1423 – 1445) इसका पांचवा पुत्र शिव ब्रह्मा था ।* *जिसे नींदड का राजा बनाया ।**
*इसके वंशज शिव ब्रह्म पोता कहलाते है। चांदपोल बाजार में नींदड राव जी का रास्ता बहुत प्रसिद्ध रहा है।*
*आमेर नरेश बनवीर 1475 से 1496 के पुत्र को वाटिका दिया । इनके वंशज बनवीर पोता कहलाते हैं।* *राजा चन्द्रसेन 1524- 1559 के तीसरे पुत्र कुंभाजी को महार मिला ।* *यह चारों कोटड़ियां आमेर नरेश पृथ्वीराज 1503 के पहले ही स्थापित हो चुकी थी।*
*पृथ्वीराज राज के 19 पुत्रों में पांच ना औलाद मरे । एक बेटा जोगी हो गया था।* *सांगानेर बसाने वाले सांगा के कोई पुत्र नहीं हुआ।*