लोक टुडे न्यूज नेटवर्क
✍️ विशेष रिपोर्ट | हेमराज तिवारी
नई दिल्ली, जुलाई 2025 –
जब आम जनमानस महंगाई, बेरोजगारी और अमीर-गरीब की खाई को दिन-ब-दिन बढ़ता महसूस करता है, उसी समय विश्व बैंक की एक नई रिपोर्ट ने सबको चौंका दिया है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत अब उन शीर्ष पाँच देशों में शामिल है जहाँ आर्थिक समानता सबसे अधिक है।
Gini Index: आर्थिक समानता का पैमाना
विश्व बैंक की ‘Poverty and Equity Brief’ रिपोर्ट के अनुसार भारत का Gini Index स्कोर 25.5 है — एक ऐसा आंकड़ा जो भारत को स्लोवाक रिपब्लिक, स्लोवेनिया और बेलारूस के बाद चौथे सबसे समानता वाले देश के रूप में प्रस्तुत करता है।
Gini Index की परिभाषा कुछ यूं है:
0 का अर्थ है पूर्ण समानता (हर व्यक्ति के पास बराबर संसाधन)
100 का अर्थ है पूर्ण असमानता (सभी संसाधन कुछ गिने-चुने लोगों के पास केंद्रित)
दुनिया के बड़े देशों की तुलना में भारत आगे?
देश Gini Index स्कोर
भारत 25.5
चीन 35.7
अमेरिका 41.8
तो क्या भारत में वास्तव में आर्थिक असमानता कम हो गई है?
यहाँ सवाल सिर्फ आँकड़ों का नहीं, जमीनी हकीकत का है। भारत में:
करोड़ों लोग अब भी न्यूनतम मजदूरी पर जीते हैं।
शहरी और ग्रामीण क्षेत्र की आमदनी में भारी अंतर है।
स्वास्थ्य, शिक्षा और आवास जैसे क्षेत्रों में गरीब और अमीर के बीच खाई बनी हुई है।
शीर्ष 1% लोग अब भी राष्ट्रीय संपत्ति का सबसे बड़ा हिस्सा नियंत्रित करते हैं।
तो फिर इतना कम Gini स्कोर कैसे आया?
विशेषज्ञों के अनुसार:
1. यह स्कोर “उपभोग” आधारित गणना पर आधारित हो सकता है, जो वास्तविक आय और संपत्ति की बजाय खपत को देखता है।
2. भारत की नकद ट्रांसफर योजनाएं (PM Kisan, DBT, उज्ज्वला, राशन कार्ड, आयुष्मान योजना) ने कुछ हद तक निचले वर्ग की खपत क्षमता बढ़ाई है — इससे Gini स्कोर पर सकारात्मक असर पड़ा होगा।
3. Covid-19 के बाद अमीर वर्ग का उपभोग भी गिरा है, जिससे अंतर कुछ कम दिख सकता है।
सवाल यह नहीं कि स्कोर क्या है, सवाल यह है — क्या हम सबको बराबरी का अनुभव हो रहा है?
भारत जैसे विशाल और विविधता वाले देश में केवल औसत स्कोर से सामाजिक असमानता और वास्तविक गरीबी का मूल्यांकन करना खतरनाक हो सकता है।
विश्लेषक क्या कहते हैं?
“भारत का Gini स्कोर एक सकारात्मक संकेत हो सकता है, पर यह जमीनी सच्चाई को पूरी तरह दर्शाता नहीं है। हमें आय, संपत्ति, अवसर और सामाजिक पहुंच — चारों स्तरों पर बराबरी के प्रयास करने होंगे।”
— प्रो. रेखा सिंह, अर्थशास्त्री, JNU
Gini Index की यह रिपोर्ट भारत के लिए एक प्रेरणादायक आंकड़ा हो सकती है, लेकिन यह जमीनी सच्चाई की संपूर्ण तस्वीर नहीं।
भारत को यदि सचमुच आर्थिक समानता के पथ पर अग्रसर होना है, तो उसे केवल आंकड़ों की लड़ाई नहीं, वास्तविक सामाजिक न्याय और अवसर की समानता सुनिश्चित करनी होगी
“Gini स्कोर में गिरावट शुभ संकेत है, लेकिन क्या गाँव के किसान, शहरी बेरोज़गार और स्लम का बच्चा इसे महसूस कर रहा है? — यही असली सवाल है।”
हेमराज तिवारी
स्रोत: World Bank Poverty and Equity Brief 2024