राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू वैश्विक शिखर सम्मेलन का शुभारम्भ किया

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लोक टुडे न्यूज नेटवर्क

सिरोही। (तुषार पुरोहित)राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने ब्रह्माकुमारीज के डायमंड हाल में आयोजित वैश्विक शिखर सम्मेलन का शुभारम्भ किया। राष्ट्रपति का ब्रह्माकुमारी के पदाधिकारियों स्वागत अभिन्दन किया।हजारों लोगों की मौजूदगी में कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ।

इस दौरान राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े, ब्रह्माकुमारीज प्रमुख दादी रतनमोहिनी सहित कई लोग मौजूद रहें….।
कार्यक्रम में बीके मृत्युंजय भाई ने कहा कि राष्ट्रपति नारी शक्ति के रूप में मां सरस्वती, मां दुर्गा का रूप है, राष्ट्रपति के दूसरी बार मुख्यालय शांतिवन आगमन पर हार्दिक स्वागत है।


संस्थान के महासचिव राजयोगी बृजमोहन भाई ने कहा कि राष्ट्रपति के द्वारा इस वैश्विक शिखर सम्मेलन का शुभारंभ हो रहा है यह गर्व की बात है। आज विश्व के हालत अच्छे नहीं हैं, एसे में यह सम्मलेन विश्व को शांति, अध्यात्म और एकता का संदेश देगा। एसे में हम सभी का ध्यान परमात्मा की ओर जाता है। भागवत गीता में लिखा है कि कल्प के आदि में ब्रह्मा ने यज्ञ रचा था जिससे नए युग की उत्पति हुई। उन्होंने कहा कि परमात्मा कहते हैं कि खुद को आत्मा समझकर परमात्मा को याद करेंगे तो आत्मा पावन बन जायेगी और इसी से यह दुनिया स्वर्णिम दुनिया बनेगी।


राजस्थान के राज्यपाल ने अपने कहा कि यहां आकर आज बहुत आनंद की अनुभूति हो रही है। आध्यात्मिक होने का अर्थ है कि हम अपने आप को जानते हुए कार्य करे तो सब सफल हो। ब्रह्मा कुमारीज बहुत ही अच्छे विषय पर वैश्विक शिखर सम्मेलन आयोजित कर रही है। समाज में नैतिकता का पतन हुआ है इसे में आध्यात्मिकता व्यक्तिगत विकास के लिए महत्वपूर्ण है। भारतीय संस्कृति में व्यक्तिव विकास, जीवन की स्वच्छता, विचारो की स्वच्छता पर जोर दिया गया है। भारतीय संस्कृति वशुधेव कुटुम्वकम पर आधारित है। सभी सुखी रहे, सभी निरोग रहें।
राष्ट्रपति ने ओम शांति के साथ संबोधन के साथ अपने भाषण की शुरुआत करते हुए कहा कि आज इस ग्लोबल समित में शामिल होकर बहुत खुशी हो रही है। आत्मा स्वच्छ, स्वस्थ हो तो सबकुछ हो जाता है। मान सरोवर में शिव बाबा के रूम में मुझे कुछ समय बिताने का समय मिला। साथ ही राजयोगी ब्रह्मा कुमार भाई बहनों के साथ समय बिताने का समय मिला। आज राजयोगी निर्वर भाई की कमी महसूस हो रही है।
राष्ट्रपति ने कहा कि आध्यात्मिकता का मतलब अपने कर्म को शुद्ध और सात्विक बनाकर मन को संवारने का मार्ग है। स्वच्छता सिर्फ बाहरी नही हमारे विचारों में भी होनी चाहिए। परमात्मा विचित्र है हम भी विचित्र है। परमात्मा स्वच्छ स्वरूप है हम भी स्वच्छ स्वरूप है। धरती पर आकर आत्मा में दाग लग जाते हैं। सामाजिक, मानसिक, भावनात्मक सभी आपस में जुड़े हुए हैं इन सभी रूप में हमारा स्वस्थ होना जरूरी है। संत कबीर के दोहा के बुरा जो देखन में मै चला.. पर बोलते हुए कहा कि जब तक हमारा मन स्वच्छ, साफ नही होगा। जीवन में परिवर्तन नहीं होगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि संस्था द्वारा यौगिक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसलिए कहा जाता है जैसा अन्न वैसा मन। स्वच्छ भारत मिशन के 10 साल पूरे हुए हैं। स्वच्छ जल को लेकर भारत सरकार द्वारा सराहनीय प्रयास किए गए हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि ब्रह्मा कुमारी जैसे संस्थान समाज में स्वच्छ, स्वस्थ समाज के साथ पर्यावरण संरक्षण का संदेश देते हैं।
जब हम शांत होते हैं तभी हम दूसरों के प्रति प्रेम, शांति का भाव रख सकते हैं। ग्लोबल समिट से विश्व शांति के रास्ते निकलकर आएंगे
राष्ट्रपति ने सभी से आह्वान किया कि देश के 140 करोड़ लोग एक एक पेड़ लगाएं। इससे पर्यावरण सुधर जायेगा।एक एक पेड़ अपनी मां के नाम लगाएं।…ब्रह्मा कुमार भाई बहिन विश्व शांति का प्रयास कर रहे हैं। 1937 से ये प्रयास जारी है। मुझे लगता है एक दिन जरूर विश्व का परिवर्तन होगा। आप चट्टान की तरह हो। विश्व को शांति लाने, परिवर्तन लाने में आपका प्रयास जरूर सफल होगा।

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