अतिकुपोषित बच्ची मिली,दावों की खुली पोल

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चिकित्सा टीम की समझाईस के बाद अस्पताल में भर्ती के लिए माने परिजन
कस्बाथाना में मिली चिकित्सा टीम को अतिकुपोषित बच्ची , किया शाहबाद रेफर

कस्बाथाना, जयपुर । (आदर्श भार्गव/ नीरज मेहरा ) एक तरफ हम विश्व शक्ति बनने की ओर अग्रसर है दूसरी और कुपोषण आज भी हमारा मूंह चिड़ा रही है। कुपोषण वैश्विक समस्या बनती जा रही है। कुपोषण से पीड़ित सबसे ज्यादा महिलाएं और बच्चे ही पाए जाते हैं। चिकित्सा टीम के हाथ में ये कोई खिलौना नहीं है, ये एक अतिकुपोषित बच्ची है, जिसे चिकित्सकीय टीम की समझाईस के बाद शाहबाद अस्पताल के लिए रवाना किया गया है। आम तौर ये कहा जाता है की कोई कुपोषण से भी मरता है क्या ? आज तो सबके पास खाने -पीने को सबकुछ है लेकिन आज भी बहुत से लोगों को पर्याय़प्त खाने- पीने को नहीं मिलने के कारण उनकी संतानें भी कुपोषित पैदा होती है। जो सामान्य बच्चों के मुकाबले बहुत ही कमजोर होती है। लेकिन ये तो अतिकुपोषित बच्ची है जिसे बड़ी मुश्किल से चिकित्सकों की टीम ने शाहबाद अस्पताल में भर्ती कराया।

सरकारें भले ही कितने ही दावे करे की राजस्थान कुपोषण मुक्त हो गया और हम अग्रणी प्रदेश है लेकिन राजस्थान के कई इलाके ऐसे हैं जहां आज भी कुपोषित ही नहीं अतिकुपोषित बच्चे मिलना आम बात है। लंबे अंतराल के बाद बारां जिले के कस्बाथाना इलाके में रविवार को एक अतिकुपोषित बच्ची को शाहबाद अस्पताल में भर्ती कराया गया। डॉ सुरेंद्र कुमार मीणा और डॉ राकेश दडिया की बड़ी मशक्त के बाद बाद परिजनों को समझाया गया, तब जाकर माता- पिता रविवार को अपनी बच्ची को एमटीसी में भर्ती कराने को राजी हुए। मां बाप बच्ची को शाहाबाद एमटीसी में भर्ती कराने को लेकर तैयार नहीं हो रहे थे। कस्बाथाना से एंबुलेंस मंगाकर कुपोषित बालिका अंजली पुत्री गोपाल उम्र 9 निवासी कस्बाथाना को उसकी मां के साथ एमसीटी के लिए रवाना किया गया। इस दौरान हेल्थ सुपरवाइजर राधेश्याम मीणा, जगदीश पातिदार, रेहान खान , सरस्वती आशा रामसखी ने सहयोग किया है। कस्बाथाना इलाके में मिली अतिकुपोषित बच्ची हमारे सरकारी तंत्र और तमाम दावों पर तमाचा है।

चिकित्सा की टीम के हाथ में अति कुपोषित बच्चा

कुपोषित होता क्या है?

जब किसी भी व्यक्ति के शरीर को अपने ऊतकों और कई कार्यों को बनाए रखने के लिए कई तरह के पोषक तत्वों की जरुरत होती है। कुपोषण तब होता है जब उसे मिलने वाले पोषक तत्व इन जरुरतों को पूरा नहीं करते।

शाहबाद में कुपोषित बच्चे

बारां के आदिवासी क्षेत्र में कुपोषण बच्चों को अपना शिकार बना रहा है। यहां एमटीसी को मजबूत रखना है। शाहबाद में सबसे ज्यादा कुपोषित बच्चें मिलते हैं।बारां के आदिवासी इलाके में कुपोषण डराने वाला है। यहां महिलाएं एनीमिया की शिकार है तो बच्चे कुपोषण के। अकेले शाहबाद के अस्पताल में 78 बच्चे भर्ती हुए थे। जिन्हें शाहबाद – किशनगंज में कुपोषित बच्चे मिलते रहते हैं। बाल आयोग की रिपोर्ट में भी उदयपुर में एक लाख सेज्यादा बच्चे कुपोषित माने थे। जबकि हम विकसित प्रदेश की बात करते हैं।

कुपोषित बच्चे

जब कोई बच्चा सामान्य बच्चों की तुलना में कम वजनी, हल्का, कम लंबाई का सांस लेने में दिक्कत हो,कमजोरी हो अप्रर्याप्त विकसित, छोटा सा बिल्कुल फ्लैग साइन ,एडिमा, बाल पतले हो जिसके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता नहीं के बराबर हो। जिसका शारीरिक विकास नहीं हुआ हो। माना जा रहा है कि ऐसे बच्चे अपर्याप्त आहर, प्रोटीन की कमी से होते हैं।

मध्यप्रदेश है सबसे कुपोषित राज्य

3 साल पूर्व राष्ट्रीय पोषण संस्थान द्वारा किये गए सर्वे में मध्यप्रदेश को देश का सबसे कुपोषण के शिकार लोगों का प्रदेश माना गया है। यहां बच्चों और महिलाओं की रोग प्रतिरोधात्मक क्षमता काफी कम है।

दुनियां में कुपोषण के मामले में भारत 111 वेंं स्थान पर है

2021 में भारत 116 देशों की सूची में 101 वे स्थान पर था। भारत ने अपने पडौसी देशों पाकिस्तान 99 वें, नेपाल 81 वें और बांग्लादेश 84 वें स्थान पर है की तुलना मेंभारत 101 वें स्थान पर है। वर्ष 2024 की बात करें तो भारत इसमें और पिछड़ गया और हम कुपोषित इंडेक्स में 125 देशों में 111 वें स्थान पर है। ग्लोबल हंगर इंडेक्स से पता चलता है की देश में भुखमरी और कुपोषण के कैसे हालात है. इस मामले में हमारे देश की हालात और खराब होती जा रही है।

राजस्थान में 1 लाख 94 हजार बच्चे कुपोषित

हम भले ही अग्रणी प्रदेश होने का दावा करते हो लेकिन पोषण ट्रेकर रिपोर्ट पर गौर करें तो राजस्थान में 1लाख 94 हजार बच्चे आज भी कुपोषित है। आंकड़ों के अनुसार 12976 कुपोषित बच्चे उदयपुर में लिस्टेड हुए हैं। सबसे कम कुपोषित बच्चे 2246 जैसलमेर में मिले हैं। भीलवाड़ा में 6776 बच्चे कुपोषित मिले। कोटा में अति कुपोषित बच्चों की संख्या 550 ही है। राज्सथान में 39 प्रतिशत बौनेपन के शिकार है। 23 प्रतिशत महिलाएं एनिमिया से पीड़ित है।

22 हजार बच्चे अतिकुपोषण का शिकार

राजस्थान स्वास्थ्य विभाग की एक सर्वे रिपोर्ट को देखा जाए तो यहां करीब 22 हजार बच्चे गंभीर कुपोषण का शिकार है। इन बच्चों में कैल्शियम, पोटैशियम, फाइबर,प्रोटीन आदि पोषक तत्वों की जरुरत होती है। इनकी कमी से बच्चे कुपोषण का शिकार हो रहे हैं। आहार की कमी से ही कुपोषित बच्चे होते हैं।

राजस्थान सरकार ने शुरु की पोषण योजना

इस योजना में बच्चों और महिलाओं को पोषण भोजन दिया जाता है। जिस दंपत्ति का बच्चा होता है उसे निशुल्क पोष्टिक भोजन के अलावा 300 रुपए प्रतिदिन भी दिए जाते है। यह योजना 2018 में शुरु की गई थी। आंगनबाड़ी केंद्रों में भी खाने को दिया जाता है। जिससे पोषक तत्वों की कमी को पूरा किया जा सके।

कुपोषण के कारण

पीने योग्य पानी की कमी, खराब स्वच्छता और खतरनाक स्वच्छता प्रथाओं के कारण आम लोग जल जनित बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं। पौष्टिक आहार के साथ जागरुकता की भी कमी है। जिसके कारण पूरा का पूरा परिवार कुपोषण का शिकार हो जाता है।

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