जयपुर।आदिवासियों का कोई भी धर्म नहीं है ,वे प्रकृति पूजक है और देश में आदिवासियों का अपना कोई धर्म नहीं है। वह किसी भी धर्म को मानने के लिए स्वतंत्र है ।यह हम नहीं कह रहे यह खुलासा हुआ है आरटीआई में पूछे गए एक सवाल के जवाब में। दरअसल वर्ष 2018 में ट्राइबल मंत्रालय से बिहार के राजेंद्र पूरा नाम टोडा नाम के व्यक्ति ने यह जानना चाहा कि क्या एसटी का कोई धर्म है? इस सवाल के जवाब में मिनिस्ट्री ऑफ ट्राइबल अफेयर्स ने यह लिखित में जवाब दिया है कि एसटी का अपना कोई धर्म नहीं है ।एसटी के लोग किसी भी धर्म को मानने के लिए स्वतंत्र है । आपको बता दें कि यही कारण है कि एसटी वर्ग पर हिंदू विवाह अधिनियम कोड भी लागू नहीं होता है ,और आदिवासियों में बहुत सारे ऐसे लोग हैं जिनमें बहू पत्नी विवाह का रिवाज है, और वे यह कहकर कोर्ट में बच जाते हैं कि उन पर हिंदू विवाह अधिनियम को कोड लागू नहीं होता है। इसीलिए कुछ दिनों पूर्व राज्यसभा सांसद डॉ किरोड़ी लाल मीणा ने कहा था कि एक देश एक कानून लागू होना चाहिए। आपको बता दें कि कांग्रेस समर्थित विधायक रामकेश मीणा ने अभी कुछ दिन पूर्व ही यह बयान देकर तहलका मचा दिया था कि आदिवासियों पर जबरन हिंदू धर्म को सौंपा जा रहा है और आदिवासी हिंदू नहीं है । यह बात कांग्रेस से आदिवासियों के इलाके के विधायक गणेश घोघरा ने भी और ट्राइबल पार्टी के रामप्रसाद में भी इस बात तो कही थी, कि आदिवासियों का कोई धर्म नहीं है और वे प्रकृति के उपासक हैं । उनके इस बयान को लेकर काफी बवाल मचा था । यही कारण है कि जो आदिवासी बहुल इलाके हैं वहां पर हिंदू धर्म के कार्यकर्ता आदिवासियों को हिंदू धर्म से जोड़ने की कवायद कर रहे हैं ,और कुछ इलाकों में ईसाई धर्म के लोग आदिवासियों का धर्मांतरण कर रहे हैं ।यह लगातार विवाद उठता रहा है ।लेकिन मीणा समाज के लोग ज्यादातर हिंदू धर्म का ही अनुसरण करते हैं । यह बात डॉक्टर किरोडी लाल मीणा ने भी कही थी कि मीणा समाज के लोग हिंदू है ,हिंदू रहेंगे और हिंदू हिंदू धर्म उनके रग-रग में बसा हुआ है । यदि किसी को हिंदू कहलाना पसंद नहीं हो तो वह आरक्षण का लाभ लेना बंद कर दे।
लेकिन रामकेश मीना और आदिवासी विधायकों उन लोगों पर इस आरटीआई का असर है। दरअसल देश में मीणा समाज के अलावा बहुत सारी जातियां आती है जो आदिवासियों में आती है और आज भी वह जंगलों में रहना और जंगलों से ही अपनी आजीविका चलाना पसंद करते हैं ,और उन में बहुत सी जातियों में ईसाई धर्म भी स्वीकार कर रखा है ।बहुत लोग अलग अलग धर्म स्वीकार कर रखा है। लेकिन उनमें बहुसंख्यक हिंदू धर्म में भी वे भरोसा रखते हैं ।इस तरह से आदिवासी समाज का बहुत बड़ा वर्ग है जो हिंदू नहीं है। संविधान में भी आदिवासियों को अलग वर्ग ही माना गया और इस आरटीआई ने भी साफ कर दिया कि एसटी का कोई धर्म नहीं है और वह कोई भी धर्म अपनाने को स्वतंत्र हैं । भले ही वह कोई सा भी धर्म हो अपनाने के लिए स्वतंत्र है ।