परमालय संग साधकों ने खूब किया नृत्य, शिविर को बताया अनूठा

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जयपुर। लगभग 450 करोड़ वर्ष पूर्व पृथ्वी का उद्गम हुआ। बदलाव होते होते मनुष्य भी प्रकृति, पशु योनि से मानव बने। इसके बाद ब्रेन का विकास हुआ। जितना ब्रेन का विकास हुआ उतना सोचने की क्षमता भी बढ़ती गई। हम बाहर तो मनन कर रहे हैं लेकिन भीतर मनन नहीं कर रहे हैं। हमें भौतिक शरीर तक ऊर्जा को पहुंचाने के लिए धारा बनानी होगी जितना ब्रेन तक ऊर्जा को लेकर जाएंगे उतनी पॉजिटिविटी आएगी। नेगेटिविटी अपने आप कम हो जाएगी। यह महत्वपूर्ण तथ्य  प्रोजेक्टर पर उदाहरण सहित सन टू हुमन संस्था की ओर से भवानी निकेतन परिसर सीकर रोड में आयोजित नया दृष्टिकोण, युवाओं में नई चेतना और जागृति के लिए मंच से सन टू ह्यूमन के प्रमुख सूत्रधार  परमालयजी ने साधकों को बताई । लोगों ने इस अनूठे शिविर की प्रशंसा करते हुए कहा कि इस प्रकार के आयोजन लगातार होने चाहिए, जिससे पीढ़ियां सुधरेगी। युवाओं के लिए इसे महत्वपूर्ण माना और साधक अपने साथ बच्चों को बड़ी संख्या पर लेकर यहां पहुंच रहे हैं।
इस दौरान साधकों ने अपनी बातें भी सामने रखी जिनका मंच से परमालय जी ने समाधान किया। लगातार मंच से अनेक आज की दैनिक जीवन से जुड़ी विकट समस्याओं का परमालय जी ने समाधान किया। इस मौके पर लार और नाभि से जुड़े हुए  कई उपयोगी और महत्वपूर्ण बिंदुओं पर बताया। सभी ने साधना करते हुए लार रोकी और नाभि झटका प्रयोग भी किया। इसके बाद लयबद्ध होकर धार्मिक भजनों पर नृत्य किया। लगभग 30 मिनट तक सभी उम्र के लोगों ने प्रकृति के साथ खुद को जोड़ते हुए आनंद की अनुभूतियों को ग्रहण किया।


*हर समस्या का समाधान ब्रेन ही करता हैं*
परमालय जी ने आगे बताया कि
  अभी जो उर्जा शरीर में बनती है इसे ब्रेन तक पहुंचानी होती है। इस भौतिक शरीर में
हर समस्या का समाधान हमारा ब्रेन ही करता हैं। जो व्यक्ति हर दिन प्रॉब्लम पैदा करता है उस व्यक्ति की समझ कितनी कम होती है। सबसे बड़ी समस्या जो आप लोग हर दिन क्रिएट करते हैं, आपको यही पता नहीं कि भोजन कैसे करना है, हर दिन नई बीमारी को नासमझी के कारण अपने अंदर प्रवेश करवाते हैं।  जिस चीज को भोजन में शामिल नहीं करना हो उसे हम नासमझी के कारण ले लेते हैं। हम रोजाना बीमारियों को इकट्ठा कर रहे हैं और वह आज विशाल पहाड़ बन गया है। आज का युवा समझ नहीं रहा है। हम अपने बच्चों को प्रेम की ताकत को कमजोर कर रहे हैं रात में पढ़ते समय कुछ भी खिलाते हैं। इससे एलर्जी पेट में चली जाती हैं। ब्रेन में कैसे जाएगी, पर यूथ इसे समझता ही नहीं। उन्होंने 120 दिन की सतत धारा से जुड़ने के लिए भी युवा पीढ़ी का आह्वान किया। इस मौके पर भावपूर्ण प्रयोगों के द्वारा महत्वपूर्ण संदेश दिया।

*जीवन में निरंतरता जरूरी*
आयोजन से जुड़े संजय महेश्वरी अजय मित्तल आलोक तिजारिया प्रमोद मालपानी नरेंद्र वैद्य विवेक लड्ढा ने बताया परम वाले जी ने कहा कि शुद्ध विचार, शुद्ध शरीर, और शुद्ध भाव की निरंतरता ही आपको अपने जीवन में लक्ष्य की ओर ले जाते हैं। जीवन में निरंतरता जरूरी है, आज विज्ञान में बहुत अविष्कार कर दिया है मनुष्य में अद्भुत ताकत है पर उसे शब्दों व प्रवचन से वह नहीं बदल सकता। विज्ञान कहते हैं अपने आप को बदलने के लिए प्रयोग करने होंगे और प्रयोग जैसे जैसे आप करते हैं एक नई धारा अपने आप बनती है। हमें भोजन की प्रक्रिया के बारे में ही नहीं पता। भोजन और व्यायाम दोनों साथ में हो जाए तो आपकी निरंतरता बढ़ेगी। ब्रेन में इतनी ताकत होती है कि हर चीज का सिग्नल देती है ब्रेन मालिक है। इस दौरान प्रोजेक्टर के माध्यम से उपस्थित साधकों को अनेक महत्वपूर्ण ब्रेन से संबंधित बातें बताई।
*शरीर को सही रखने के प्रयोग करवाएं*
शरीर पर चर्चा करते हुए अनेक महत्वपूर्ण जानकारियां प्रदान की। शिविर के मीडिया प्रभारी राजेश नागपाल ने बताया कि इस दौरान गार्गी मां ने शरीर को शक्तिशाली बनाने वाले नाभि झटका प्रयोग भी करवाएं।

*अनेक असाध्य रोगों से लाभान्वित हो रहे हैं लोग*

    मीडिया प्रभारी राजेश नागपाल ने बताया कि शिविर के माध्यम से हम आसानी से वजन कम करना, बीपी, डायबिटीज, थायराइड, मोटापा, माइग्रेन, डिप्रेशन, तनाव जैसे रोगों को ठीक किया जा सकता है । सभी ने परम आलय जी के सत्र का भरपूर आनंद लिया एवं सूर्य नारायण प्रभु को वंदन कर प्रणाम किया ।

आयोजन से जुड़े अजय मित्तल,  संजय माहेश्वरी, नरेंद्र वैद्य, कमल सोमानी, आलोक तिजारिया ने बताया कि शिविर को लेकर जयपुर शहर में चारों और लोगों में उत्साह नजर आ रहा है समय पूर्व लोग यहां आकर अपना स्थान ग्रहण कर शिविर को ध्यान पूर्वक सुनकर ग्रहण कर रहे हैं।

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