Home rajasthan नाइट क्लबों मैं उड़ रही है नियम कायदों की धज्जियां

नाइट क्लबों मैं उड़ रही है नियम कायदों की धज्जियां

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जयपुर । राजधानी जयपुर में भी कई इलाकों में इन दिनों नाइट क्लब जोरों से चल रहे है। शहर के कई इलाकों में नाइट क्लब खुल गए हैं और इन क्लबों में पुलिस और आबकारी विभाग की मदद से देर रात से लेकर सुबह 4:00 बजे तक युवा कानफाडू म्यूजिक के बीच शराब , हुक्का बार का आनंद लेते हैं । हालांकि पुलिस के अनुसार नाइट क्लब को रात्रि 12:00 बजे तक की अनुमति दी जाती है । लेकिन अधिकांश नाइटक्लब में 12:00 बजे बाद तो पार्टियां स्टार्ट होती है जो सुबह 3:00 बजे तक 4:00 बजे तक चलती है। सबसे खास बात है कि इन कदमों में नाबालिग बच्चों को एंट्री नहीं दी जाती। लेकिन जब हकीकत देखा जाए इन क्लबों में कम उम्र के बच्चे- बच्चियां सबसे ज्यादा होता है। कहने को तो क्लब आई कार्ड देखकर ही एंट्री देता है । लेकिन यह सिर्फ दिखावा मात्र है ।

पुलिस और आबकारी विभाग की मिलीभगत

पुलिस कार्यवाही करती ही नहीं है । ऐसे में लोग पुलिस और आबकारी विभाग की मिलीभगत से धड़ल्ले से अपना धंधा चला रहे हैं । राजधानी के आसपास की कई कॉलोनियों में इस तरह के नाइटक्लब चल रहे हैं। इन नाइट क़्लबों में पुलिस और आबकारी विभाग की मिलीभगत से धड़ल्ले से विदेशी शराब और हुक्का के कई फ्लेवर और अन्य नशा भी सप्लाई होने लगा है। जो निर्धारित समय के बाद भी किया जाता है जबकि अनुमति रात 10 बजे तक की होती है। सबसे खास बात है कि पुलिस कार्यवाही नहीं के बराबर कर रही है ।

रसूखदारों के है नाईट क्लब

बताया जा रहा है कि नाइटक्लब संचालन करने वाले लोग ऊंची अप्रोच रखते हैं, जो पुलिस से सांठगांठ रखते हैं। आपकारी विभाग भी अस्थाई लाइसेंस देखकर छुट्टी कर लेता है। बताया जा रहा है कि स्थानीय पुलिस और आबकारी विभाग के लोगों की बगैर मिली भगत के ये सारा खेल चल ही नहीं सकता। रात 10:00 बजे तक परमिशन होने के बावजूद देर रात तक डांस और शराब पीकर सिगरेट के छल्ले उडाकर को नशे में जमकर हंगामा करते हैं। नाइट क्लब में ना सोशल डिस्टेंसिंग होती है, और ना ही कोरोना के नियमों की पालना, जबकि स्थानीय लोग कई बार इनकी शिकायतें भी करते हैं। लेकिन इनको स्थानीय पुलिस और प्रशासन की शह है। इस तरह के कदमों से सख्त कार्यवाही नहीं हुई होगी तो आने वाले समय में हमारी युवा पीढ़ी का आने वाला यह कल बिगाड जाएगा। अभिभावकों की चिंता बढ़ रही है।

बर्थडे पार्टी के नाम पर घर से जाते है युवा

पार्टी के नाम पर और आजकल तो जन्मदिन पार्टी के नाम पर बच्चे इन नाइट कलबों में जाना स्टेटस सिंबल मानते हैं । युवा अपने बर्थडे पार्टी नाइट क्लब में ही मनाता है। जो थोड़ा बहुत भी सक्षम है उसकी पहली पसंद क्लब ही होती है । क्योंकि वहां पर इन्हें रोकने टोकने वाला कोई नहीं होता। रात के अंधेरे में सब खुले में सब कुछ करना और बिंदास तरीके से रहना बच्चों को भी यही पसंद आता है । जो नाइटक्लब चला रहे हैं उनको मोटा पैसा मिलता है और मुनाफ आप इसमें अच्छा मिलता है । जिसके चलते वे न बच्चों के स्वास्थ्य पर ध्यान दे रहे हैं ,और ना ही सरकार के नियम कायदों का, सरकार को भी चाहिए नए आबकारी मंत्री को तो जरूर इस मामले में एक्शन लेना चाहिए । आखिरकार क्या कारण है कि इन नाइट क्लबों पर आबकारी विभाग ने आज तक कोई कार्यवाही क्यों नहीं की! आबकारी विभाग ने क्यों नहीं बार, होटल और अस्थाई लाइसेंस लेने वालों पर कार्रवाई करने के स्थान पर उन्हें बढ़ावा ही दिया गया। आखिर में कौन नशे के कारोबार को बढ़ावा दे रहा है ! कौन हमारी युवा पीढ़ी को बर्बाद कर रहा है। आखिर पुलिस प्रशासन इन पर लगाम नहीं लगाएगा तो आने वाली पीढ़ी कहां जाएगी किसी को अंदाजा भी नहीं है।

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