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गुटखा और सिगरेट की आदत से बढ़े हैड एंड कैंसर के रोगी-

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जयपुर। नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम इंडिया की ओर से हाल ही में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार देश में मुंह एवं गले के कैंसर के 66.6 % रोगी बीमारी की एडवांस स्टेज (बढ़ी हुई अवस्था) में उपचार के लिए हॉस्पिटल पहुंचते हैं। वहीं राजस्थान में यह आंकडा 65 से 70 फीसदी है। नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम के तहत भगवान महावीर कैंसर हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर में संचालित कैंसर रजिस्ट्री के अनुसार 2020 में हॉस्पिटल में 6852 नए कैंसर रोगी रजिस्टर्ड हुए इनमें से 29 फीसदी रोगी (1856) मुँह  एवं गले के कैंसर के सामने आए हैं। प्रदेश के युवाओं में तेजी से बढ़ती गुटखा, तंबाकू और सिगरेट की आदत के चलते प्रदेश में हर साल हैड एंड नेक कैंसर रोगियों की संख्या में बढ़ोतरी होती जा रही है। पहले 35 की उम्र में इस रोग के रोगी सामने आते थे, वहीं आज 25 वर्ष की उम्र में सैकड़ो युवा इस बीमारी की गिरफ्त मे आ चुके हैं। भगवान महावीर कैंसर हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के ऑन्को सर्जन डॉ अनिल गुप्ता ने बताया कि हैंड एंड नेक कैंसर के प्रमुख कारणों में गुटखा, तंबाकू, सिगरेट, ओरल हाइजिन ना होने के साथ ही प्रदूषण का बढ़ना है। बीएमसीएचआरसी के प्लास्टिक एंड रिकंस्ट्रक्टिव सर्जन डॉ उमेश बंसल ने बताया कि मुँह एवं गले कैंसर के एडंवास स्टेज के रोगियों में कैंसर ग्रसित अंग को निकालने के बाद भी आंतरिक अंगों की कोई भी क्रिया बाधित ना हो और विकृति नजर ना आए इसके लिए रिकंस्ट्रक्षन सर्जरी की जाती है। यह है प्रमुख कारण बीएमसीएचआरसी के रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ तेज प्रकाश सोनी ने बताया कि शहर के मुकाबले ग्रामीण स्तर की महिलाओं में स्मोकिंग और तंबाकू की आदतों वहीं वजह से ग्रामीण स्तर की महिलाओं मे हैंड एंड नेक कैंसर के केसेज अधिक पाए जाते है। डॉ सोनी का कहना है कि कैंसर के शुरूआती लक्षणों की पहचान कर अगर रोगी समय पर करके चिकित्सक के पास पहुंचे तो रोगी के रोग मुक्त होने की संभावना अच्छी होती है। 
यह है सरवाइवर रेट डॉ अनिल गुप्ता ने बताया कि कैंसर की चार स्टेज होती है। पहली स्टेज में कैंसर सरवाइवर रेट 85 से 90 फीसदी होती है। वहीं दूसरी स्टेज में यह रेट 65 से 70 फीसदी पहुंच जाती है। तीसरी और चौथी स्टेज को एडवांस स्टेज कहा जाता हैै। इस स्टेज में रोगी का सरवाइवर रेट 25 से 40 फीसदी ही होता है। जागरूकता की कमी और लक्षणों की अनदेखी के कारण अधिकांश  रोगियों में रोग की पहचान एडवांस स्टेज में हो पाती है। 

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