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” अंबर को तारों हाथ सूं कोनी टूटया करें ” पर मोदी जी ने संभव कर दिया -द्रौपदी मुर्मू

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जयपुर । एनडीए की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का जयपुर एयरपोर्ट से लेकर कार्यक्रम स्थल पर मानव श्रृंखला बनाकर जनजाति समाज के लोगों के साथ साथ 36 कोम के लोगों ने भी पलक पावडे बिछा कर भव्य स्वागत किया । जयपुर एयरपोर्ट एवं कार्यक्रम स्थल पर द्रौपदी मुर्मू का भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर सतीश पूनिया, नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ,प्रदेश संगठन महामंत्री चंद्रशेखर, उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़, पूर्व केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, सांसद कनक मल कटारा ,डॉ किरोड़ी लाल मीणा ,जसकौर मीणा, भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष जितेंद्र मीणा सहित अन्य नेताओं ने स्वागत एवं अभिनंदन किया।

एयरपोर्ट से कार्यक्रम स्थल तक स्वागत

एयरपोर्ट से रवाना होने के साथ ही आदिवासी समाज के लोगों ने मुर्मू का आदिवासी परंपरा रीति रिवाज से स्वागत किया । इस दौरान गवरी नृत्य, कन्हैया पद, दंगल, महिला ढोल नगाड़े ,राजस्थानी लोक कलाकारों ने प्रस्तुति दी। इस दौरान जितेंद्र मीणा ने द्रोपदी मुर्मू को भगवान मीन की तस्वीर भी भेट की । द्रौपदी मुर्मू ने विधायकों और सांसदों से संवाद के दौरान संबोधित करते हुए कहा कि राजस्थान की वीर प्रसूता भूमि को वंदन, नमन करते हुए प्रदेश वासियों का हृदय से स्वागत करते हैं। आभार व्यक्त करती हूँ। उन्होंने कहा कि ओडिशा और में दूर होने के बावजूद कई समानताएं हैं।

राजस्थानी कहावत से जोड़ा

उन्होंने कहा कि एक राजस्थानी कहावत है ” अम्बर को तारो हाथ से कोनी टूटे ” मैं जहां से यहां तक आई हूं । इस कहावत की व्यवहारिकता को समझती हूं। मेरी अब तक की जीवन यात्रा का अनुभव कहता है कि अनायास कुछ नहीं होता है। हमारे आज के साथ बीते हुए कल के संघर्ष जुड़े हुए रहते हैं। संघर्ष में उद्देश्य एवं संकल्पों के प्रति सचेत रखते हैं।

जल, जंगल जमीन और आदिवासी की बात

उन्होंने कहा कि जल, जंगल ,जमीन और आदिवासी अब सुरक्षित एवं विकसित अर्थव्यवस्था के मुख्य भागीदार बन रहे हैं पिछले कई वर्षों में वंचितों, पिछड़ों, एवं आदिवासियों के जीवन में उन्नति के साथ बड़े बदलाव आए हैं। विकास अब दूरस्थ क्षेत्रों तक बराबरी से पहुंच रहा है ।स्वतंत्रता के बाद पहली बार आदिवासी समाज की एक बेटी को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाना इसका सबसे जीवंत उदाहरण है ।जो देश के सभी आदिवासी भाई बहनों का सम्मान है। यह देश की सवा सौ करोड़ से अधिक आबादी का भी सम्मान है।

ओडिशा को नहीं भूली

ओडिशा में छोटे-छोटे सपनों के साथ पली-बढ़ी जनजाति समाज की बेटी को राष्ट्रपति भवन तक जाने का रास्ता दिया गया है ।यह लोकतांत्रिक स्वपन है। यही अंतोदय है ,यह गांव गरीब और जंगल की बेटी पर विश्वास जताना है। यहां उपस्थित सांसदों और विधायकों के माध्यम से राजस्थान की देव तुल्य जनता का समर्थन मांग रही हूं। मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए ने, अंतिम छोर पर बसे गांव के लोगों को मुख्यधारा में जोड़ने के लिए मुझे माध्यम बनाया है। वंचित ,आदिवासी और शोषित मुझ में स्वयं को देख सकते हैं ।हमने ना कोई भेद है ना मतभेद है। आशान्वित , अग्रसर और आश्वस्त है नए भारत के निर्माण के लिए।

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