नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ में ढाई ढाई साल के मुख्यमंत्री बनाए जाने का फार्मूला कांग्रेस आलाकमान ने सिरे से खारिज कर दिया है । इसके बाद राजस्थान में भी साफ हो गया है कि अब पूरे 5 साल तक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ही बने रहेंगे। यहां पर भी लगातार इस बात के कयास लगाए जा रहे थे कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के ढाई साल पूरे होने पर सूबे की कमान सचिन पायलट को मुख्यमंत्री के तौर पर सौंप दी जाएगी। लेकिन जब छत्तीसगढ़ में यह फार्मूला सिरे से खारिज कर दिया गया ,तो राजस्थान में भी यह फार्मूला नहीं अपनाया जाएगा । पंजाब में भी अमरेंद्र सिंह मुख्यमंत्री रहेंगे और उन्हें नहीं छैड़ा जाएगा। पार्टी के तेजतर्रार नेता नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बनाकर उन्हें एडजस्ट कर दिया गया है । राजस्थान में माना जा रहा है कि चुनाव से पूर्व सचिन पायलट को एक बार फिर से पीसीसी चीफ बनाया जाएगा ,क्योंकि पायलट भी अब ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री नहीं बनना चाहेंगे। वे अब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में मंत्रिमंडल में रहना भी स्वीकार नहीं करेंगे । हालांकि उनके साथ उपमुख्यमंत्री और मंत्री रह चुके हैं । लेकिन फिर भी माना जा रहा है कि दोनों के बीच में जिस तरह का वैचारिक मतभेद है उससे साफ है कि पार्टी आलाकमान एक बार उन्हें फिर से राजस्थान की कमान बतौर पीसीसी चीफ के सौप सकती है। दिल्ली में बैठे पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अच्छा काम कर रहे हैं और पार्टी को उसका लाभ राष्ट्रीय स्तर पर भी खूब मिल रहा है । केंद्र सरकार के खिलाफ भी लगातार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत मुखालफत करते रहे हैं और कई मायनों में वह राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस को दिशा देने का काम भी करते हैं । उनकी बयानबाजी और सक्रियता से कई बार केंद्र सरकार को भी अपनी रणनीति में बदलाव होना पड़ता है। ऐसी स्थिति में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को बदलना विपक्षी पार्टियों को एक मुद्दा देना होगा ।खासतौर पर बीजेपी को, इसलिए कि राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को नहीं छेड़ा जाएगा। लेकिन यह तय है कि चुनाव से पूर्व सचिन पायलट को पीसीसी चीफ बनाया जाएगा। जिससे सचिन एक बार फिर मजबूती से काम कर सके।