जयपुर। जयपुर के इतिहास में आज फिर एक नया स्वर्णिम इतिहास जुड़ जायेगा। जब राज्यसभा सांसद डॉक्टर किरोड़ी लाल मीणा खोहगंग जो वर्तमान में खोनागोरियां के नाम से जाना जाता है। जयपुर जिले में आगरा रोड़ पर घाट की गुनी इलाके से नीचे दाहिनी तरफ स्थित है, मैं मीणा समाज की तर्पण तलाई में हिंदू- मुस्लिम समाज के साथ मिलकर तिरंगा झंडा फहराएंगे। आपको बता दें कि आज से करीब साढे 300 वर्ष पूर्व हो यहां मीणा राजा आलन सिंह का शासन था। कच्छावा वंश से पूर्व यहां पर आम्बेर औरआसपास के इलाकों में मीणा शासक राज करते थे । खोहगंग के बारे में बताया जाता है कि जब दीपावली के दिन मीणा समाज के लोग अपने पूर्वजों को तर्पण कर रहे थे तो उस समय कच्छावा वंश के सैनिकों ने उन पर हमला कर आमेर और आसपास के मीणा रियासतों पर कब्जा कर लिया था । इसका कारण मीना समाज के लोग सामूहिक अर्पण करते थे और तर्पण करते समय किसी भी तरह का हथियार नहीं उठा देते यह बात कच्छावा वंश के सैनिकों को पता थी उनके नेतृत्व कर रहे प्रथम कक्षा वंश के राजा यह बात भली-भांति जानते थे उन्होंने इसी का फायदा उठाया था और उन पर जब मीणा समाज के अधिकांश लोग तलाई में तर्पण कर रहे थे उनका नरसंहार करके अंबेर और आसपास के इलाकों पर अपना राज्य स्थापित किया था उसके बाद मीणा समाज के लोग दर-दर की भटकने को मजबूर है हालांकि उसके बाद भी आसपास के इलाकों में मीणा समाज बाहुल्य है। उसके बाद से मुगलकालीन और ब्रिटिश साम्राज्य तक कच्छावा वंश का शासन रहा लेकिन वर्तमान में भी जयपुर और आमेंर कच्छावा वंश के पास ही है। लेकिन मीणा समाज की आस्था आज भी खोनागोरियां निश्चित खोहगंग तर्पण तलाई से जुड़ी हुई है। डॉक्टर किरोडी लाल मीणा ने अपने पूर्वजों की तलाई को अतिक्रमण से मुक्त कराने की लड़ाई लड़ रहे थे। कल डॉक्टर किरोडी लाल मीणा की प्रशासन से हुई वार्ता के बाद प्रशासन ने उन्हें आज खोनागोरियां तर्पण तलाई में सर्व समाज के साथ मिलकर खासतौर पर मुस्लिम और हिंदू समाज मिलकर तिरंगा झंडा लगाने लगाने की अनुमति दे दी थी।
अब इस तलाई को ऐतिहासिक रूप में संरक्षित करने का काम भी प्रशासन द्वारा किया जाएगा ।आज डॉक्टर किरोड़ी लाल मीणा सवेरे 9:45 बजे जहां पर तिरंगा फहराएंगे। जो इतिहास के पन्नों में दर्ज हों जायेगा। क्योंकि यहां पर पुरातत्व विभाग की देखरेख के अभाव में लोगों ने अतिक्रमण कर लिए है। खोनागोरियां खोहगंग तलाई और अन्य अवशेष पर भी कब्जे कर लिए हैं । जिन पर लोग लगातार अतिक्रमण जा रहे हैं और आसपास काफी बसावट भी हो गई है ,लेकिन अब इसका संरक्षण होने से यह इतिहास वापस जीवंत हो सकेगा।