लोक टुडे न्यूज नेटवर्क
जयपुर।( विशेष संवाददाता) किसी भी सरकार में उसके मुखिया, मंत्रियों ,नेताओं की छवि सुधारने में मंत्रियों के पर्सनल असिस्टेंट की बड़ी भूमिका होती है। यदि उनका व्यवहार अच्छा होगा तो वह नेताजी की छवि को चमकवा देते हैं ,यदि उनका व्यवहार अच्छा नहीं होता है तो वही नेताजी को आम जनता में घमंडी और आलोकप्रिय बना देते हैं। आजकल लोगों की इन पर्सनल असिस्टेंट को लेकर बड़ी शिकायत है। नेताओं, मंत्रियों के पर्सनल असिस्टेंट इसलिए लगाए जाते हैं कि जब नेता जी या मंत्री जी व्यस्त हो ,तब वे उनका फोन उठा कर संतोषप्रद जवाब दे सके । मंत्री या नेताजी का वह समय बता सके, जिस पर वह उपलब्ध हो सके। लेकिन आजकल नेताओं और मंत्रियों के पर्सनल असिस्टेंट सुपर मंत्री हो गए हैं। पुराने मुख्यमंत्री और पुराने नेताओं के पर्सनल असिस्टेंट कम से कम इस काम में तो पारंगत थे कि वह किसको क्या जवाब देना है, फोन तो उठाते थे उचित जवाब भी देते थे। जिन नेताओं मंत्रियों के पर्सनल असिस्टेंट फोन उठाकर जवाब नहीं देते थे उनकी छवि आज भी ऐसी है कि वह नेता घमंडी है और इसका खामियाजा उन नेताओं को भुगतना पड़ा। आम जनता में छवि तो ऐसी बनी ही पार्टी में उच्च स्तर पर भी इस तरह की छवि बन गई जिससे उनको नुकसान ही हुआ और उठाना भी पड़ रहा है । वर्तमान सरकार में बहुत सारे मंत्रियों, एक उपमुख्यमंत्री, के पर्सनल सेक्रेटरी तो सुपर हो गए कि वह उनकी छवि को जनता के बीच में धूमिल करने में लगे हुए हैं । यहां तक की यह लोग आम जनता तो दो बहुत दूर की बात है विधायकों, पार्टी के पदाधिकारी और पत्रकारों तक के फोन के जवाब नहीं देते हैं । जबकि इनका काम ही फोन उठा कर जवाब देना होता है। इसका खामियाजा संबंधित नेता को भुगतना ही पड़ता है ,उसकी मार्केट में छवि भी इस तरह की बन जाती है कि यह घमंडी हो गया है । हो सकता है संबंधित नेताजी को इस बात का जानकारी नहीं हो , या नेताजी ने ही जानबूझकर अपने असिस्टेंट को ऐसा बोल रखा हो। यदि नेताजी नहीं ऐसे निर्देश दे रखे हैं तो फिर उनका भगवान ही मालिक है , उन्हें कोई नहीं बचा सकता। कई मंत्रियों को अभी से ही लगने लग गया कि अगला चुनाव तो जीतेंगे नहीं है। इसलिए करेंगे तो वही जो वह चाहेंगे।
पीए बनने के लिए अप्रोच लगाने वाले ही बन जाते हैं सुपर
मंत्रियों के पर्सनल असिस्टेंट बनने के लिए लोगों के तलवे चाटने वाले पर्सनल असिस्टेंट बनने के बाद सुपर मंत्री बन गए । अब उनके कंधे पर ही पूरे प्रदेश ही नहीं प्रदेश का भार आ गया हो। उनसे ज्यादा कोई व्यस्त आदमी नहीं है, जबकि सब लोग व्हाट्सएप या फोन पर लगे रहते हैं लेकिन किसी का फोन उठाकर उचित जवाब देना वह सही नहीं मानते हैं। पर्सनल असिस्टेंटस के इस तरह के व्यवहार से आम जनता में भी गलत मैसेज जा रहा है। उन्हें लगता है मंत्री जी घमंडी हो गए हैं ,जबकि घमंडी तो वह पर्सनल असिस्टेंट हो गए हैं जो लोगों के फोन के जवाब नहीं उठा रहे। मंत्री या नेताजी से बात नहीं कर रहे जबकि सबको पता है कि नेताजी भी कितने व्यस्त है उनके पास कितना काम है, लेकिन उनसे भी ज्यादा सुपर तो उनकी पीए बन गए, जो कल तक मंत्रियों के लगने के लिए लोगों की एप्रोच लगवाते फिरते थे । यह इस तरह के लोग भूल जाते हैं कि वह क्या कर रहे हैं लेकिन वह सरकार और पार्टी की छवि दोनों धूमिल करते हैं। नेताओं को भी समय समय पर इस तरह के जो पर्सनल असिस्टेंट है ,उनके काम को चेक करते रहना चाहिए कि आखिरकार लोग उनसे दूर क्यों हो रहे हैं । सरकार में है तो लोगों का आना-जाना मजबूरी हो जाता है। लोगों को कहना है कि नेता सार्वजनिक मंच पर कार्यकर्ताओं को विधायकों को कहते हैं कि भाई कोई भी काम हो हमारे पास आओ मिलो, लेकिन व्यक्ति उन नेताजी से या मंत्री जी से मिलेगा तो तब ना जब उनका पीए उन्हें मिलने का समय देगा । यह तो खुद मंत्री बनकर बैठा है। वह अपने आप को ही मंत्री समझ बैठे है, जबकि सब जानते हैं उनकी स्थिति क्या है। यह हाल कुछ मंत्रियों की नहीं है बल्कि अधिकांश बड़े मंत्रियों और बड़े नेताओं के है। लोग नेताओं से नहीं उनके पर्सनल असिस्टेंटस से ज्यादा परेशान हैं और वही सरकार की छवि को धूमिल करने में लगे हैं। पर्सनल असिस्टेंट तो इतने सुपर हो गए हैं कई दिन तक पार्टी के विधायकों, पार्टी के पदाधिकारियों से और यहां की पत्रकारों तक से बात नहीं कराते और जब बैंड बजती है तब भी बिलबिलाते हैं क्योंकि उनके सबके भी ऊपर निगरानी हो रही है। क्योंकि उनके व्यवहार पर ही सरकार की लोकप्रियता और लोकप्रियता निर्भर करती है ऐसे में इनको अपने व्यवहार और आचरण में सुधार करना चाहिए जैसे सरकार की छवि अच्छी हो सके।