लोक टुडे न्यूज नेटवर्क
जयपुर ।श्री जगन्नाथ सेवा समिति द्वारा डोला फाउंडेशन के तत्वावधान में श्री ब्रिज निधि मंदिर में भव्य अशोकाष्टमी उत्सव का आयोजन किया गया। यूनेस्को द्वारा मान्यता प्राप्त जयपुर के परकोटे वाले क्षेत्र में स्थित इस ऐतिहासिक मंदिर में, देश-विदेश से आए सैकड़ों भक्तों की उपस्थिति में श्री जगन्नाथ, बलभद्र जी और सुभद्रा माता (जिन्हें दुर्गा माता का रूप माना जाता है) की महिमा का बखान किया गया।
आध्यात्मिक प्रवचन:
पुरी धाम से पधारे डॉ. कमलाकांत दाश—जो श्री जगन्नाथ सेवा समिति के सक्रिय सदस्य भी हैं—ने भगवान श्री जगन्नाथ की लीलाओं पर मनोहारी व्याख्यान दिया। उन्होंने ऐतिहासिक तथ्यों के माध्यम से दर्शाया कि किस प्रकार अमेर के महाराजा मान सिंह प्रथम ने वर्ष 1592 में अफगान शासक नज़ीर ख़ान को पराजित कर श्री जगन्नाथ मंदिर की रक्षा की।
ऐतिहासिक गौरवगाथा:
डॉ. दाश ने बताया कि यह विजय सिर्फ एक युद्ध नहीं, बल्कि राजपूत, बंगाल और ओडिशा के सैनिकों के सहयोग से धर्म और संस्कृति की रक्षा हेतु लड़ा गया संग्राम था। इस युद्ध के परिणामस्वरूप, मंदिर की सम्पत्ति और पवित्रता की रक्षा संभव हुई।
भविष्य की दृष्टि:जयपुर रथ यात्रा को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाएंगे
समिति ने जयपुर रथ यात्रा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने और राजस्थान पर्यटन कैलेंडर में स्थायी स्थान दिलाने के संकल्प को दोहराया।विशिष्ट अतिथि सूची में शामिल रहे।महाराज सवाई पद्मनाभ सिंह,डॉ. जीतन सोनी, जिला कलेक्टर, जयपुर,डॉ. केके पाठक, प्रमुख सचिव,सुरेश मिश्रा, भारतीय जनता पार्टी, मुकेश मिश्रा, जयपुर मैराथन,अपूर्व जोशी, राजस्थान सरकार,गौरव चतुर्वेदी, राजस्थान सरकार,गोमा सागर, अध्यक्ष, सागर फाउंडेशन,अरुण अग्रवाल, अध्यक्ष, फोर्टी,सहित अनेकों गणमान्य व्यक्ति, अधिकारी, समाजसेवी और सांस्कृतिक क्षेत्र की हस्तियाँ कार्यक्रम में शामिल हुई।
धार्मिक एवं सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ:
मायापुर–नवद्वीप (चैतन्य महाप्रभु की जन्मभूमि) से आए कीर्तन मंडल द्वारा दिव्य हरिनाम संकीर्तन प्रस्तुत किया गया।
भक्त राजा मोदी द्वारा ब्रिज निधि कथा का प्रवचन।
जयंश्री नायर द्वारा श्री जगन्नाथ स्तोत्रम पर भावपूर्ण भरतनाट्यम नृत्य। जयपुर रथ यात्रा की यात्रा और लक्ष्य को दर्शाती 6 मिनट की डॉक्यूमेंट्री का प्रदर्शन।
समापन:
कार्यक्रम का समापन श्री जगन्नाथ महाभोग प्रसाद वितरण के साथ हुआ। देश-विदेश से आए भक्तों ने संकीर्तन में नृत्य कर, रंगों और मधुर ध्वनि से वातावरण को भक्तिमय और सकारात्मक ऊर्जा से भर दिया।