गरीबों बच्चों को स्कूलों में भोजन परोसने में भी भेदभाव
लोक टुडे न्यूज नेटवर्क
जालोन ।( महेंद्र गौतम ) माधौगढ़ तहसील क्षेत्र के मिहौनी गांव में बना प्राथमिक विद्यालय जिसमें गांव के गरीब मजदूर किस्म के लोगों के बच्चे पढ़ने लिखने जाते है,जिसमें शिक्षा तो नाम मात्र की दी जाती है, लेकिन गरीब मजदूरों के बच्चों को भेदभाव करके खाना दिया जाता है। जबकि सरकारी स्कूलों को नई दिशा दे रही है डबल इंजन की सरकार लेकिन मोटी रकम पाने वाले अध्यापकों का क्या कहना ,देखिए किस तरीके से बच्चों को खाना खिलाया जाता है। अध्यापक के अगर किसी भी बच्चे को ये खाना दिया जाए तो हो सकता है कि आसमान टूट जाए।
माधौगढ़ तहसील क्षेत्र के कई विद्यालय सुर्खियों में आते है कभी शिक्षा को लेकर तो कभी समय से स्कूल न खुलने की वजह से वही आज दिन सोमवार को मिहौनी गांव में स्थित प्राथमिक विद्यालय सड़क के पास बना हुआ है,जिसमे लन्च के समय बच्चों को भोजन खिलाया जाता है।
,वहीं भोजन जब खिलाया जा रहा था,तो अचानक सड़क से पत्रकार साथी की नजर पड़ी की बच्चों के ठीक अगल बगल में आवारा दो कुत्ते बैठे हुए है और बगैर फट्टी टाट के बच्चे भोजन कर रहे है और आया दूर से रोटी देकर खिला रही है,जब पत्रकार साथी ने प्रधान अध्यापक आनन्द श्रीवास्त से बात की वहां पर मौजूद सहायक अध्यापक ने बच्चों को झड़पी देना शुरू कर दिया कि टाट फट्टी डालकर क्यों खाना नहीं खाते हो इतना कह कर वापस अन्दर क्लास में आ गए,देखिए अगर बच्चे टाट फट्टी डालकर नहीं बैठे तो उनको टाट फट्टी नहीं दी जाएगी,आखिरकार क्या स्कूल में चपरासी नहीं है जो टाट फट्टी डाल सके और क्या इस तरह खाना कोई खाता है जिस तरह गरीब मजदूर लोगों के बच्चे खाना खा रहे थे। दरअसल स्कूल में आज भी गरीब बच्चों के साथ दोयम दर्जे का बर्ताव किया जाता है।