संविधान ए ग़ज़ल, भारतीय संविधान को गजल में उतारा -इकबाल सक्का ने

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615 गजलों और शायरी में लिखा भारतीय संविधान

6 महीने में लिखा गया चर्मपत्र पर संविधान

उदयपुर के इकबाल सक्का ने किया कारनामा

उदयपुर। भारतीय संविधान वैसे तो कई खूबियों वाला है लेकिन दुनिया का सबसे बड़ा और लिखित संविधान है। अब ये संविधान गजलों और शायरी के माध्यम से जन- जन तक पहुंचेगा। भारतीय संविधान का अपना मुकाम और अलग इतिहास है। बाबा साहब डॅा. भीमराव अंबेडकर द्वारा लिखित संविधान को उदयपुर के आर्टिस्ट इकबाल सक्का ने पहली बार गजल और शेरो- शायरी में उतारा है। इकबाल सक्का ने बताया कि उन्हें कई बार ऐसा ख्वाब आया कि दुनियां का सबसे बेहतरीन भारतीय संविधान है। जिसमें सभी धर्मां, वर्गों, यहां तक की प्रकृति जीव- जंतुओं तक का ख्याल रखा गया है। जब इसे लिखने के लिए संविधान पढ़ा गया तो अहसास हुआ कि ये वाकई अन्य सब ग्रंथों से अलग है। जब ये ख्वाब बार – बार इकबाल सक्का को आया तो उन्होंने भारतीय संविधान को अलग तरीके से लिखने का मन बनाया । सक्का ने बताया कि सबसे खास बात है कि इसे लिखने में जो सामग्री उपयोग में ली गई है, वो सब दोस्तों ने ही उपलब्ध कराई है। अब लिखने के बाद ये दुनियां का पहला यह ऐसा संविधान बन गया है, जिसे गजल के रूप में लिखा गया है। यही नहीं यह दुनिया का पहला और सबसे लंबे चर्मपत्र पर हस्तलिखित संविधान भी बन गया है। यह कारनामा कर दिखाने का रिकार्ड भी बनने वाला है आर्टिस्ट इकबाल सक्का के नाम । हालांकि अब तक उन्होंने इस तरह के कई अऩूठे काम कर लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड, गिनिज बुक ऑफ रिकार्ड में 75 रिकार्ड अपने नाम दर्ज करा चुके है। दुनियां के सबसे ज्यादा रिकार्ड बनाने वाले है इकबाल सक्का।

भारतीय संविधान का मुकाम अलग

सक्का बताया कि भारतीय संविधान वैसे ही अपने आप में अनूठा है। लेकिन इसे पहली बार गजल के रूप में लिखा गया है। इकबाल सिक्का ने इसे गजल के रूप में लिखने के लिए चर्मपत्र (चमड़े) की सीट का प्रयोग किया है। इसके लिए लंबे चर्मपत्र की सीट का उपयोग किया गया है। जिस पर संविधान को गजल के रुप में लिखा गया है। लिखने के लिए इसमें मूल संविधान की तरह से काली स्हायी का उपयोग किया गया है। इसमें कुल 120 पृष्ट है । सबसे पहले पृष्ठ पर चांदी के शब्दों द्वारा उत्कीर्ण किया गया है । पूरे संविधान में 615 गजलों शायरियों का उपयोग किया गया है। यहां तक संविधान की धाराओँ को भी गजलों और शायरी का रुप दिया गया है। सभी पृष्ठों को राजस्थान के पारंपरिक चित्रों से चित्रित करके सजाया गया है। इसके प्रत्येक पृष्ठ 22 इंच ऊंचाई और 16 इंच चौड़ाई के प्रश्न रखे गए हैं।

चर्मपत्र पर लिखा गया संविधान

इस चर्म पत्र पर लिखित गजल के संविधान का वजन भी भारतीय मूल संविधान के जितना ही पूरा 13 किलो ही रखा गया है। इसे लिखने में सक्का को 6 महीने का समय लगा है। आर्टिस्ट वैसे भी बहुत सारी विधाओं में अपनी कला का जौहर दिखा चुके हैं, लेकिन चर्मपत्र पर गजल के रूप में उन्होंने इसे पहली बार ही लिखा है । इसे मूल संविधान की तरह की काली स्याही से लिखा गया है । यह गजल के रूप में लिखा गया दुनिया का पहला और सबसे लंबा चमड़े का हस्त लिखित संविधान बन गया है । जो आने वाले समय में कई रिकॉर्ड स्थापित कर सकता है। इकबाल सक्का का कहना है कि वैसे तो हमारे सबके अलग – अलग धार्मिक ग्रंथ है गीता, कुरान, बाइबल , गुरुग्रंथ साहब लेकिन भारतीय संविधान का मुकाम अलग है। इसलिए इसे लिखने में भी उतनी पवित्रता का ख्याल रखा गया है, जितना ख्याल मूल संविधान को लिखने में रखा गया था। वाकई में संविधान हर भारतीय के लिए गर्व का विषय है। इसे लिखकर काफी गर्व का अनुभव हो रहा है।

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