जयपुर । खबर जयपुर के सांगानेर पिंजरापोल गोशाला से है जहां गौशाला में ऑर्गेनिक पार्क में स्वयं सहायता समूह की महिलाएं देसी नस्ल की गाय के गोबर से राखियां बनाने में जुटी है। गौशाला संचालकों का कहना है कि गाय के गोबर की राखियों की बिक्री रक्षाबंधन पर की जाएगी । लोगो में गायों के प्रति श्रद्धा भाव प्रबल हो इसलिए गोबर और बीज से राखियां बनाई जा रही है। देखने में आता है कि रक्षाबंधन के कुछ देर बाद लोग राखियां उतार कर इधर-उधर फेंक देते हैं ।राखी भाई बहिन के स्नेह का प्रतीक होती है, जो कुछ दिन बाद कचरे में पहुंच जाती है। इसीलिए गाय के गोबर में बीज़ मिलाकर बनाई जा रही है, ताकि त्यौहार के बाद राखी को अपने घर में रखे गमले में गाड़ दिया जाए, तो कुछ दिन बाद ही राखी में रखा बीज़ फुटकर पौधा बन जाएगा जाएगा। भाई-बहन के स्नेह का प्रतीक यह पौधा परिवार के लिए भी यादगार बन जाएगा। आत्मनिर्भर भारत के निर्माण से जुड़ी कई स्वयंसेवी संस्थायें महिला समूह गोबर से राखियां बनाकर ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर बिक्री कर रही है। सोशल मीडिया पर भी जोर शोर से प्रचार किया जा रहा है। आने वाले समय में यह लोगों की पसंद ही बन सकती है। गोमूत्र और गोबर के अन्य उत्पादन के बाद अब पहली बार राखियां देखने को मिलेगी।
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