जिनको विश्वास सरूपम बोलना नहीं आता वह इसके बारे में सवाल उठा रहे हैं?

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सीएमडी मदन पालीवाल ने कहा लगातार शिव मूर्ति के मुद्दे पर विवाद चला रहा तो ताला लगा दूंगा

नाथद्वारा।( शेखर पालीवाल संवाददाता लोक टुडे न्यूज नेटवर्क) मदन पालीवाल ने कहा कि है जो शिव प्रतिमा बनी है वह कंक्रीट और पत्थर से बनी है इसको बनाने में भी कहीं मजदूर इस पर चढ़े हैं और मूर्ति का निर्माण हुआ है डायरेक्ट प्रकट नहीं हुई है

साथ ही यह भी कहा है कि मानो तो कंकर में शंकर है ना मानो तो शंकर में भी कंकर है

मदन पालीवाल ने कहा कि मीरा विश्व को अमृत बन सकती है यह विश्वास का प्रतीक है अगर आप अपनी सच्ची श्रद्धा रखते हो तो आपको इसमें भगवान नजर आएंगे पर साथ ही अभी कहां की पिछले दिनों जो न्यूज़ में फिल्मी गानों के जो वीडियो चल रहे हैं वह एडिटेड वीडियो है जो सरासर गलत है और झूठ को न्यूज़ चैनल पर बार-बार दिखाया जा रहा है।

सांसद और विधायक के बयान पर टिप्पणी करने से इनकार

सांसद और विधायक के मनोरंजन वाली बात पर पालीवाल ने कहा कि नाथद्वारा में श्रीनाथजी के बाद लोग सीधा उदयपुर व कुंभलगढ़ के लिए निकल जाते थे, अब यहां रुकने से यहां का रोजगार बढ़ने लगा है यहां कुछ पॉइंट मनोरंजन के लिए बनाए गए हैं ,जिसको देखना व इंजॉय करने के लिए लोग यहां रुकते हैं ,जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार मिल रहा है

यहां के होटल व्यवसाय की अर्थव्यवस्था भी अब सुधरने लगी है। रिक्शा वाले और रेवड़ी वालों को भी अब इसे अच्छा खासा रोजगार मिलने लगा है। पत्रकारों द्वारा रोजगार के मुद्दे पर पूछा गया की रोजगार के लिए अन्य भी व्यवस्थाएं हो सकती थी तो इस पर मदन पालीवाल ने कहा कि तो कर लेनी चाहिए थी, अगर ऐसी कोई व्यवस्था थी तो मैं 15 साल पहले एक आईसीयू बनवाया था उसमें अब तक डॉक्टर नहीं लग पाया है । पालीवाल ने कहा कि जिनकी आस्था और भावनाओं को ठेस पहुंचती है तो वह यहां ना आए और उन्होंने यह भी कहा कि यह मेरी सबसे बड़ी गलती हो गई कि मैं सरकारी जमीन खरीद कर विश्वास स्वरूपम की शिव मूर्ति यहां पर स्थापित की है । मैं प्रेस कांफ्रेंस के माध्यम से स्थानीय जनता को यह कहना चाहता हूं कि भ्रमित ना हो सांसद और विधायक के बारे में बार-बार पूछने पर मदन पालीवाल ने कहा कि जिनका विश्वास स्वरूपम बोलना नहीं आता वह इस पर कमेंट कर रहे हैं । जब पत्रकारों ने पालीवाल से पूछा कि यह शिव धर्म परिसर है या नहीं जिस पर मदन पालीवाल ने कहा यह एक आस्था का परिसर है। विश्वास का परिसर है। यह विग्रह स्वरूप नहीं है, यह दर्शनी स्वरूप है ।आपने ऐसे शिवजी कहीं देखे हैं विश्व में यह मेरी कल्पना के शिव है।

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