लखनऊ। उत्तर प्रदेश के चर्चित बीआरडी ऑक्सीजन त्रास्दी के आरोप में निलंबित हुए डॅा. कफील खान ने अपने निलंबन को इलाहाबाद उच्च न्यायलय में चुनौती दी है। इसके साथ ही डॅा. कफील खान ने उनके ऊपर फिर से जांच शुरु करने पर भी सवाल उठाए हैं।
डॉ0 कफील खान का निलम्बन समाप्त करने की याचिका रिट No 7412 of 2021 पर न्यायधीश यशवन्त वर्मा ने डॉ0 कफील खान के सीनियर वकील मनीष कुमार निगम और एडवोकेट मनोज कुमार उत्तर प्रदेश के सरकारी वकील की बहस सुनने के बाद यह फैसला सुनाया। न्यायाधीश महोदय ने यह माना है कि डॉ0 कफील खान अपने निलम्बन को समाप्त करने के लिए हमारे पास पहले भी आए थे और उनकी रिट. A No 3511 of 2019 पर न्यायालय ने पूर्व में 7 मार्च 2019 को यूपी सरकार को डॉ. कफील खान की जाँच 3 माह मे समाप्त करने का आदेश भी दिया था । न्यायालय को यह बताया गया कि न्यायालय के आदेश के बाद जाँच अधिकारी ने अपनी जाँच रिपोर्ट 15 मार्च 2019 को पूरी कर दी थी। जिसमें डॉ. कफील खान को चिकित्सीय लापरवाही और भ्रष्टाचार के आरोपों से मुक्त कर दिया गया था। इसके बाद उत्तर प्रदेश सरकार के अधिकारियों ने 11 महीने बाद पुनः जाँच के आदेश दे दिये है । कोर्ट ने पूछा कि आखिर यह 11 महीने का अन्तराल क्यूं हुआ ? पुछे जाने पर जाँच अधिकारी इसका जवाब देने मे असमर्थ रहे। न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार को यह आदेश दिया कि डॉ. कफील खान को 4 साल से ज्यादा निलम्बित रखने का औचित साबित करते हुये – 05-अगस्त 2021 को जवाब दाखिल करे ।डॉ. कफील खान के साथ 7 और लोग ( डॉक्टर्स, चीफ फार्मसिस्ट, लिपिक एवं सहायक लिपिक ) जो निलम्बित हुये थे उनकी बहाली हो चुकी है । ऐसे में डॅा. कफील खान को निलंबित रखने का कोई औचित्य नहीं बनता है। डॅा. कफील खान का कहना है कि उनका न्यायपालिका में भरोसा है और उन्हें न्याय मिलेगा।
इलाहाबाद कोर्ट ने सरकार को लगाई फटकार , कहा जांच में निर्दोष होने के बावजूद डॅा. कफील को निलंबित रखने का क्या औचित्य ?
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