दौसा उपचुनाव को हल्के में नहीं ले रहे डॅा.किरोड़ी, खुद जा रहे हैं ढाणी- ढाणी, लगाई ताकत

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डॅा.किरोड़ीलाल मीणा ने  खुद ने संभाल रखी है प्रचार की कमान

मानो खुद किरोड़ी लड़ रहे हों चुनाव

गली- मोहल्लों और ढाणियों में घर- घर पहुंच रहे हैं किरोड़ी

कांग्रेस उम्मीदवार डीडी बैरवा को सचिन और मुरारी का सहारा

बीजेपी एकजुटता से तो कांग्रेस का चुनाव बिखरा- बिखरा सा 

लोक टुडे न्यूज नेटवर्क

जयपुर।( विशेष संवाददाता) दौसा विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव को डॉक्टर किरोडी लाल मीणा हल्के में नहीं ले रहे हैं।  जिस दिन से उनके छोटे भाई जगमोहन मीणा को टिकट मिला है ,उसके बाद से वह लगातार खुद एक-एक गांव में जा रहे हैं । शहर में गली- मोहल्लों में तो गांवों में ढाणी- ढाणई प्रचार  कर रहे हैं। चुनाव प्रचार की  कमान खुद डॉक्टर किरोडी लाल मीणा ने संभाल रखी है। डॅा. किरोड़ी लाल मीणआ जहां भी जा रहे हैं वह अपने अब तक की की गई गलतियों के लिए माफी मांग रहे हैं और लोगों से यह भी कह रहे हैं कि मेरी गलतियों की सजा मेरे छोटे भाई को मत देना।

डॅा. किरोड़ी लाल ने लगाई पुरी ताकत

डॉक्टर किरोडी लाल मीणा ने उपचुनाव जीतने के लिए पूरी ताकत लगा रखी है और वह इस पूरे चुनाव को किसी भी कीमत पर हारना नहीं चाहते । लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद से डॉक्टर किरोडी लाल मीणा काफी गुस्से में थे.  नाराज भी थे और अब जब पार्टी ने उनके छोटे भाई को टिकट दिया है, अब वह इस स्वर्णिम मौके को चूकना नहीं चाहते।  भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता भी डॉक्टर किरोडी लाल मीणा के साथ एकजुट नजर आ रहे हैं और खुद डॉक्टर लाल मीणा एक-एक गांव में जाकर लोगों से वोट और समर्थन मांग रहे हैं । वे सभी जातियों को साधने में जुटे हैं।  सभी समाजों के वोटो को साधने की कोशिश में लगे हैंट जिससे ज्यादा बड़ी जीत हो। जितनी बड़ी जीत उतना बढ़ेगा कद।

दीनदयाल बैरवा के प्रचार की रंगत सचिन पायलट और मुरारी के बगैर फीकी

दूसरी और कांग्रेस उम्मीदवार दीनदयाल बैरवा की चुनावी कमान शुरुआत में मुरारी लाल मीणा ने संभाली थी लेकिन  मुरारी लाल मीणा और दूसरे कांग्रेस के नेता इस चुनाव को काफी हल्के में ले रहे हैं। वे कागजों में कांग्रेस की जीत की गणित लगाकर खुश हो रहे हैं। कई बातों का प्रेक्टिकल ज्ञान नहीं होने के कारण भी नुकसान उठाना पड़ रहा है। लेकिन दीनदयाल बैरवा डॅा. किरोड़ी लाल मीणा के सामने काफी कमजोर माने जा रहे है। हालांकि एससी वर्ग का वोट एक तरफा दीनदयाल बैरवा को  मिलने  का कयास लगा रही है।  पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट अब तक दौसा  चुनाव प्रचार में नहीं उतरे हैं ,जब तक सचिन पायलट दौ्सा उपचुनाव में  कांग्रेस उम्मीदवार दीनदयाल बैरवा के चुनाव के कमान नहीं संभालेंगे तब तक उनका ग्राफ  ऊपर आने वाला नहीं है।  मीणा समाज के वोटो का एक तरफ लांमबद्द होना पर तय माना जा रहा है । इसके लिए किरोड़ी लाल मीणा लगातार कोशिश कर रहे हैं।

किरोड़ी, गोलमा, राजेंद्र मीणा उतरे मैदान में 

जगमोहन मीणा को टिकट मिलने के बाद डॅा. किरोड़ी लाल मीणा , पूर्व मंत्री गोलमा देवी, महुवा विधायक राजेंद्र मीणा लगातार दौसा इलाके में गांव- ढाणियों में घूम रहे हैं। दरअसल जगमोहन मीणा काफी सरल स्वभाव के और सेवाभावी व्यक्तित्व के धनी है। डॅा. किरोड़ी लाल मीणा के सारे काम काज वही देखते रहे हैं। डॅा. किरोड़ी लाल मीणा के लिए जगमोहन मीणा से आगे कुछ नहीं है। ऐसे में ये चुनाव सीधा डॅा. किरोड़ी लाल मीणा की प्रतिष्ठा से जोड़कर देखा जा रहा है। हालांकि सामने कमजोर उम्मीदवार होने से डॅा. मीणा को इसका लाभ मिलता नजर आ रहा है।

किरोड़ी खेल रहे हैं भावनात्मक कार्ड

डॅा. किरोड़ी लाल मीणा की वजह से और मीणा समाज के एक ही उम्मीदवार होने से  मीणा समाज के 80% वोटो का झुकाव पार्टी को छोड़कर जगमोहन मीणा की तरफ ही रहेगा । बीजेपी का खुद का वोट बैंक भी है ।  खुद डॉक्टर किरोडी लाल मीणा भी लगातार मेहनत कर रहे हैं।  वह एडी से चोटी का जोर लगा रहे हैं कि किसी भी कीमत पर यह चुनाव जीत जाए।  उन्होंने लोगों से भी कह दिया कि यदि वह चुनाव जीतते हैं तो उनका प्रमोशन होना तय है । वे ये  चुनाव हारते तो उनका डिमोशन होगा। इसलिए  वह गांव में जा रहे हैं जहां भी जाते हैं अपनी छाप छोड़कर आते हैं । कहीं ग्रामीण महिलाओं के साथ लोक गीतों पर ठुमके लगाते हैं ,तो कई मीनावाटी गीतों पर ठुमके लगाते हैं । उनको अपनी भाषा में समझाते हैं ,छोटे भाई जगमोहन मीणा को चुनाव जीताने के लिए खुद डॉक्टर किरोडी लाल मीणा ,उनकी पत्नी पूर्व मंत्री गोलमा देवी, भतीजे महुआ के विधायक और पूर्व प्रधान राजेंद्र मीणा सहित भाजपा के सैकड़ो कार्यकर्ता दिन रात एक करे हुए हैं ।

दीन दयाल बैरवा की  मजबूत छवि

जहां तक बात की जाए उनके सामने  कांग्रेस उम्मीदवार की तो वह अपनी एक अलग छवि रखते हैं । युवाओं में उनकी जोरदार पहचान है । लेकिन उनका चुनाव बिखरा बिखरा नजर आता है।  स्थानीय लोगों से बात करने पर साफ बोलते हैं जब तक मुरारी लाल मीणा और सचिन पायलट खुलकर दीनदयाल बैरवा का साथ नहीं देंगे, दीनदयाल बैरवा किरोड़ी लाल मीणा के सामने काफी कमजोरी साबित होंगे । कुछ लोगों ने यहां तक कह दिय कि यह मुरारी लाल मीणा का अपने गुरु को दिया हुआ कोई वादा निभाने के लिए ही डीसी को टिकट दिला लाए। लोकों का कहना था किरोड़ी मीणा के सामने  कार्यकर्ता गरीब घर के किसान और पूर्व प्रधान को टिकट दिला दिया।  डीसी की राह आसान नजर  नहीं नजर आती है।  लोग कहते भी है कि कहां शेर के सामने बकरी को बांद दिया । जाहिर सी बात है कि डॉक्टर किरोड़ी लाल मीणा , मीणा समाज का   इतना बड़ा नाम  है कि मीणा समाज का भी कोई व्यक्ति यदि जगमोहन मीणा के सामने चुनाव लड़ता तो उसे भी पसीना छूट जाते ।

लगता है जैसे खुद किरोड़ी लड़ रहे हैं चुनाव

अब  जगमोहन मीणा की पूरी चुनावी कमान किरोड़ी लाल मीणा ने संभाल रखी है।  यह सीट जीतना चाहते हैं श्री जौनपुरी ताकत लगा रखी है जबकि दीनदयाल बैरवा के समर्थन में अभी तक कोई भी खुलकर सामने नहीं आया है हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत टीकाराम जूली एक चुनावी सभा को संबोधित कर चुके हैं लेकिन जब तक इलाके में सचिन पायलट और मुरारीलाल मीणा सक्रिय नहीं होंगे तब तक दीनदयाल बेरवा की पर पड़ता मुश्किल है हालांकि इलाके लोगों का यह भी कहना है कि आप जितना सोच रहे हैं उतना मामला कमजोर नहीं है लेकिन वह भी चाहते हैं कि यह दोनों नेता दीनदयाल बेरवा के समर्थन में खड़े हो पहली मर्तबा कि जब दोसा में उपचुनाव हो रहा है और अब तक सचिन पायलट की एक भी चुनावी सभा नहीं हुई है कुछ डॉक्टर किरोडी लाल मीणा एक सभा में कह रहे थे कि उनका स्वभाव करनाल फैसला जैसा है जबकि उनके छोटे भाई का स्वभाव सचिन पायलट जैसा है वह यह भी कह रहे हैं कि गुर्जर समाज के लोग सचिन पायलट की बात एक काम से सुना दूसरे से निकाल देना हालांकि लंबे समय से दो साल जिले में एससी एसटी कॉन्बिनेशन चल रहा था लेकिन इन विधानसभा चुनाव के चलते अभी इन दोनों वर्गों के बीच थोड़ी तनाव बढ़ाने की संभावनाएं माने जा रही है हालांकि लोग इन चावन को बिल्कुल भी तवज्जो नहीं दे रहे हैं नेताओं के अलावा आम आदमी को इन चावन के प्रति कोई ज्यादा उत्साह नजर नहीं आता है लोगों का कहना है कि सरकार होने के बावजूद उनके काम नहीं हो रहे हैं तो थोड़ी नाराजगी लिए सरकार के प्रति लाल मीणा को मैनेज करने के मास्टरमाइंड है वे साम दाम दंड भेद की नीति के पारंगत राजनेता है जहां जिस विधान की जरूरत पड़ेगी उपयोग में फिलहाल तो वह दीनदयाल बेरवा से काफी भारी और मजबूत अपने जा रहे हैं लेकिन दीनदयाल बैरवा  कड़ी टक्कर दे रहे हैं । जिससे डॅा. किरोड़ी लाल मीणा को गांव-गांव ढाणी ढाणी जाने को मजबूर होना पड़ रहा है।

किरोड़ी के सामने हर तरह से कमजोर दीनदयाल बैरवा

डॅा. किरोड़ी लाल मीणा राजस्थान की राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी है।  जो राजनीति के सारे गुर जानते हैं। साम ,दाम दंड, भेद कब किस कला का उपयोग करना है उनसे बेहतर कोई नहीं जानता। दूसरी ओर उनके छोटे भाई के सामने कांग्रेस ने नौसिखिए डीडी को टिकट दे दिया। जो हर तरह से कमजोर है। पैसों में भी कमजोर ही है। दीन दयाल बैरवा सामान्य किसान परिवार से आते हैं। जो गरीब घर से हैं। बाहुबल भी दीन दयाल के पास  नहीं है। वे एससी वर्ग से आते है। दाम और दंड के मामले में भी दीनदयाल बैरवा डॅा. किरोड़ी लाल मीणा के सामने कहीं नहीं टिकते। इसलिए लोगों का  दीनदयाल को काफी कमजोर मानकर चल रहे हैं। लेकिन इसके बावजूद वो कांटे की टक्कर दे रहा है।  अगर दीनदयाल बैरवा को पार्टी के स्थानीय नेता सपोर्ट कर दे और आर्थिक सहयोग कर दे तो वे किरोड़ी मीणा के पसीने छुड़ा सकते हैं। ऐसा लोगों का मानना है। अभी तक सामान्य वर्ग ने पत्ते नहीं खोले। क्योंकि दोनों ही पार्टियों ने आरक्षित वर्ग के लोगों को टिकट दिया है। जिसके चलते यहां लोगों में नाराजगी है और चुनावों के प्रति कोई खास दिलचस्पी भी नहीं है।

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