स्टोन गैलरी और माइंस की खदानों में अवैध अमोनियम नाइट्रेट जैसे विस्फोटकों से खनन का विरोध

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लोक टुडे न्यूज नेटवर्क

समदड़ी। (प्रेम सोनी) क्षेत्र के देवड़ा गांव में संचालित हो रही पत्थरों की लीजे एवं स्टोन गैलरी और माइंस की खदानों पर भारी मात्रा में अवैध अमोनियम नाइट्रेट जैसे विस्फोटक पदार्थ सामग्री से खनन कर पत्थरों को तोड़ने का काम किया जाता है जिससे कि बड़े पत्थर तोड़े जाते हैं। कई पत्थर उचल कर लोगों के घरों तक पहुंच जाते हैं इसकी कई बार ग्रामीणों ने शिकायत की ,शिकायत के बाद पूर्व तहसीलदार सुरेंद्र सिंह खंगारोत अपनी टीम के साथ माइंसो का निरीक्षण किया और भौतिक सत्यापन करने के बाद इनही माइंसों पर विस्फोटक होना पाया गया जब तहसीलदार ने माइंस संचालकों से विस्फोटक के बारे में जानकारी ली उन्होंने विस्फोटक पानी से करने का बताया लेकिन इन माइंस संचालकों द्वारा विस्फोटक करने से उड़ने वाली मिट्टी से लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है ।

आज भी माइंस संचालकों द्वारा माइनिंग विभाग के नियमों को नजर अंदाज करते हुए उनके नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही है क्योंकि इन्हीं मांइसो पर नहीं तो माइंस संचालकों द्वारा बोर्ड लगाया हुआ है और ना ही पिलर खींचे गए हैं इससे यह भी पता नहीं चलता कि इनका माइंस संचालकों का परिसर कितना माइनिंग विभाग ने दे रखा है क्योंकि पिलर नहीं होने से माइंस संचालक अपनी मनमर्जी से खनन करते जा रहे हैं क्योंकि इनकी शुद्ध बुद्ध लेने नहीं तो माइनिंग विभाग पहुंचता है और ना ही स्थानीय प्रशासन क्योंकि होली दीपावली माइनिंग विभाग और स्थानीय प्रशासन आकर अपनी जेब गर्म कर चलते- बनते हैं माइनिंग विभाग के नियमों के अनुसार खनन करने के बाद वहां पर वृक्षारोपण किया जाना चाहिए वह भी नहीं किया गया जबकि माइनिंग विभाग के नियमों के अनुसार वृक्षारोपण करने की शर्तें लागू होती हैं लेकिन उनकी शर्तों को माइंस संचालकों द्वारा नजर अंदाज करते हुए खनन करते जा रहे हैं और वहां पर काम करते हुए कई मजदूरों की मौत हो चुकी है और कई मामले अंदरूनी दबा दिए जाते हैं माइनिंग विभाग के नियमों की नजर अंदाजी करते हुए माइंस संचालकों द्वारा कई मजदूरों को काम पर रखा है, जिनकी नहीं तो पुलिस वेरिफिकेशन करवाई गई है क्या पता मजदूर आगे क्या कारनामा कर यहां पर आकर काम कर रहा है इसकी कोई जानकारी माइंस वाले पुलिस विभाग को नहीं दी गई और नाई पुलिस और स्थानीय प्रशासन विभाग इन की शुद्ध बुद्ध लेने भी नहीं पहुंचते हैं जिन के चलते माइंस वालों को भी पता नहीं की मजदूर आगे क्या कारनामा करके आया हुआ है और क्या नहीं कारनामा करके आया हुआ है वही माइनिंग विभाग के नियमों को नजर अंदाज करते हुए माइंस संचालकों खनन करने की कितनी उनको हाइट दे रखी है और खनन करने का उनका परिसर कितना दे रखा है
वहीं परिसर से बाहर माइंस वाले खनन करते नजर आ रहे हैं वही माइनिंग विभाग और स्थानीय प्रशासन भी इनकी शुद्ध बुद्ध लेने नहीं पहुंचते है और ग्रामीणों की शिकायत पर माइनिंग विभाग और स्थानीय प्रशासन मौके पर पहुंचकर महज खानापूर्ति के तौर पर इतिश्री कर लौट जाते हैं।


वही माइंस संचालकों द्वारा वेस्टेज मलवा अन्य जगहों पर डालकर अतिक्रमण कर उस जमीन को अपने हैडर में कर रखा है इन्हीं माइंसों पर कई मजदूर अपनी जान जोखिम में डाल काम करते हैं और काम करते समय कई मजदूरों की मौत हो चुकी है गरीब तबके के मजदूर होने की वजह से पैसों से उनकी लाश का सौदाकर अंदरुनी मुंह बंद कर दिया जाता है और उनकी भनक मीडिया तक को नहीं पडने दी जाती है अवैध तरीके से भारी भरकम पत्थर बिना रस्सी से बंधे हुए ओवरलोडिंग ट्रेलर और डंपर मुख्य मार्ग से निकलते हैं और अधिकारियों के सामने से होकर गुजरते वाहनों को नहीं कोई टोकने और नहीं कोई रोकने वाला होता है जिससे उनके हौसले बुलंद है अगर समय रहते इन माइंस संचालकों पर कार्यवाही नहीं की गई तो बड़ा हादसा भी हो सकता है आज भी वहां पर काम माइनिंग विभाग के नियमों को नजर अंदाज करते हुए सुषारू रूप से शुरू है।

 

 

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