आयु्र्वेद के देवता धंवंतरी की जयंती पर पूजा क्यों जरुरी?

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भगवान धन्वंतरि – आयुर्वेद चिकित्सा के देवता

अनिल माथुर लेखक

लोक टुडे न्यूज नेटवर्क

धन्वंतरि जयंती, जो दीपावली से दो दिन पहले आती है, विशेष रूप से स्वास्थ्य और आरोग्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण मानी जाती है। यह दिन आयुर्वेद के देवता भगवान धन्वंतरि की जयंती के रूप में मनाया जाता है, जो समुद्र मंथन के दौरान अमृत कलश के साथ प्रकट हुए थे। उन्हें स्वास्थ्य और आयुर्वेद चिकित्सा का जनक माना जाता है।
इन्‍हें भगवान विष्णु का रूप कहते हैं जिनकी चार भुजायें हैं। उपर की दोंनों भुजाओं में शंख और चक्र धारण किये हुये हैं। जबकि दो अन्य भुजाओं मे से एक में जलूका और औषध तथा दूसरे मे अमृत कलश लिये हुये हैं। इनका प्रिय धातु पीतल माना जाता है।

इसीलिये धनतेरस को पीतल आदि के बर्तन खरीदने की परम्परा भी है। इन्‍हे आयुर्वेद की चिकित्सा करनें वाले वैद्य आरोग्य का देवता कहते हैं। इन्होंने ही अमृतमय औषधियों की खोज की थी। इनके वंश में दिवोदास हुए जिन्होंने ‘शल्य चिकित्सा’ का विश्व का पहला विद्यालय काशी में स्थापित किया जिसके प्रधानाचार्य सुश्रुत बनाये गए थे। सुश्रुत दिवोदास के ही शिष्य और ॠषि विश्वामित्र के पुत्र थे। उन्होंने ही सुश्रुत संहिता लिखी थी। सुश्रुत विश्व के पहले सर्जन (शल्य चिकित्सक) थे। दीपावली के अवसर पर कार्तिक त्रयोदशी-धनतेरस को भगवान धन्वन्तरि की पूजा करते हैं। त्रिलोकी के व्योम रूपी समुद्र के मंथन से उत्पन्न विष का महारूद्र भगवान शंकर ने विषपान किया, धन्वन्तरि ने अमृत प्रदान किया और इस प्रकार काशी कालजयी नगरी बन गयी।

धन्वंतरि जयंती का महत्व विशेष रूप से उन लोगों के लिए है जो आयुर्वेद चिकित्सा में विश्वास करते हैं और प्राकृतिक चिकित्सा के माध्यम से स्वास्थ्य सुधार की ओर अग्रसर होते हैं। इस दिन लोग भगवान धन्वंतरि की पूजा करते हैं और अपने जीवन में स्वास्थ्य, दीर्घायु और सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। आयुर्वेद चिकित्सक और वैद्य इस दिन भगवान धन्वंतरि का स्मरण कर समाज को स्वस्थ रखने में उनके योगदान को नमन करते हैं।

आजकल जब आधुनिक जीवनशैली और तनाव स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहे हैं, धन्वंतरि जयंती का महत्व और भी बढ़ जाता है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि स्वस्थ रहने के लिए प्राकृतिक साधनों का उपयोग करना और आयुर्वेद का अनुसरण करना कितना आवश्यक है। आयुर्वेद का उद्देश्य न केवल रोगों का उपचार करना है, बल्कि स्वस्थ जीवनशैली को अपनाना और जीवन को संपूर्ण रूप से संतुलित करना है।

धन्वंतरि जयंती पर लोग स्वस्थ और संतुलित आहार का महत्व समझते हैं, शरीर को शुद्ध और विषमुक्त करने के उपायों पर ध्यान केंद्रित करते हैं। इसके साथ ही, योग, ध्यान और प्राकृतिक चिकित्सा के प्रति जागरूकता बढ़ती है, जो मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है।

अतः, धन्वंतरि जयंती का दिन हमें आयुर्वेद की प्राचीन परंपराओं को याद करने और एक स्वस्थ, संतुलित और प्राकृतिक जीवन जीने की प्रेरणा देता है।
ॐ धन्वंतराये नमः॥ श्री धनवंतरी स्वरूप श्री श्री श्री औषधचक्र नारायणाय नमः॥
(अनिल माथुर लेखक जोधपुर)

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